सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को 11 अगस्त को आयोजित होने वाली राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा स्नातकोत्तर परीक्षा (नीट पीजी 2024) को स्थगित करने की याचिका खारिज कर दी [विशाल सोरेन @ बिशाल सोरेन एवं अन्य बनाम राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड एवं अन्य]।
भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि वह परीक्षा आयोजित होने से कुछ दिन पहले परीक्षा स्थगित करने का आदेश नहीं दे सकती।
कोर्ट ने टिप्पणी की, "अब नीट पीजी स्थगित करना? हम ऐसी परीक्षा कैसे स्थगित कर सकते हैं। आजकल लोग बस परीक्षा स्थगित करने के लिए कहते हैं।"
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने कहा,
"याचिका पुनर्निर्धारण की मांग करती है क्योंकि सुबह एक परीक्षा और दोपहर में एक परीक्षा है और फिर इसे सामान्य कर दिया जाएगा।"
कोर्ट ने कहा कि परीक्षा में 2 लाख छात्र शामिल होने वाले हैं और 50 उम्मीदवारों द्वारा दायर याचिका के कारण इसे स्थगित नहीं किया जा सकता।
याचिका खारिज करते हुए न्यायालय ने कहा, "सिद्धांततः हम परीक्षाएं पुनर्निर्धारित नहीं करेंगे। 2 लाख छात्र और 4 लाख अभिभावक हैं, जो सप्ताहांत में रोएंगे। हम इन याचिकाकर्ताओं के कारण इतने सारे उम्मीदवारों के करियर को खतरे में नहीं डाल सकते। हम नहीं जानते कि इन याचिकाओं के पीछे कौन है (आपका मुवक्किल नहीं)।''
विशाल सोरेन द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि उम्मीदवारों को अपने परीक्षा केंद्रों तक पहुंचने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि उन्हें ऐसे शहरों में केंद्र आवंटित किए गए हैं, जहां पहुंचना उनके लिए असुविधाजनक है।
परीक्षा शहरों का आवंटन 31 जुलाई को किया गया था और निर्दिष्ट केंद्रों की घोषणा 8 अगस्त को की जानी थी, जिससे उम्मीदवारों को 11 अगस्त को परीक्षा के लिए संबंधित केंद्रों तक यात्रा करने के लिए बहुत कम समय मिलता है, ऐसा तर्क दिया गया था।
इसके अलावा, परीक्षा दो बैचों में आयोजित की जानी है और सामान्यीकरण का सूत्र उम्मीदवारों को अज्ञात है, जिससे आशंकाएं पैदा होती हैं।
इसलिए याचिकाकर्ता ने प्रार्थना की कि याचिका पर निर्णय होने तक परीक्षा पर रोक लगाई जाए।
याचिका अधिवक्ता अनस तनवीर के माध्यम से दायर की गई थी।
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