सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को रामनवमी के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में हाल ही में हुई सांप्रदायिक हिंसा की भारत के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश (CJI) की अध्यक्षता में एक न्यायिक आयोग से जांच कराने की मांग वाली एक जनहित याचिका (PIL) याचिका खारिज कर दी। [विशाल तिवारी बनाम भारत संघ]।
विशाल तिवारी द्वारा दायर जनहित याचिका में इस आधार पर जांच के लिए निर्देश देने की मांग की गई है कि पूरे देश में गंभीर गड़बड़ी है और न्यायिक आयोग के माध्यम से जांच की जानी चाहिए।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ ने हालांकि याचिका खारिज कर दी।
अदालत ने याचिका को खारिज करने से पहले कहा, "(न्यायिक आयोग) की अध्यक्षता पूर्व सीजेआई करेंगे? क्या कोई स्वतंत्र है? पता करें। यह किस तरह की राहत है, ऐसी प्रार्थना न करें।"
दिल्ली में जहांगीरपुरी में हनुमान जयंती (16 अप्रैल) के दौरान हिंसा की घटनाएं देखी गई थीं, जबकि कई राज्यों में हाल ही में रामनवमी जुलूस के दौरान सांप्रदायिक हिंसा के समान दृश्य सामने आए थे।
घटनाओं की जांच की मांग करने वाली दो अन्य याचिकाएं पहले से ही शीर्ष अदालत के समक्ष लंबित हैं।
वकील विनीत जिंदल की एक याचिका में दिल्ली के जहांगीरपुरी में हुई सांप्रदायिक हिंसा की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से जांच कराने की मांग की गई है।
एक अन्य वकील, अधिवक्ता अमृतपाल सिंह खालसा ने जहांगीरपुरी दंगों का स्वत: संज्ञान लेने के लिए सीजेआई एनवी रमना के समक्ष एक पत्र याचिका दायर की है।
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Supreme Court dismisses plea seeking judicial enquiry into Ram Navami violence