सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पत्रकार ममता त्रिपाठी को अंतरिम राहत प्रदान की, जिन पर उत्तर प्रदेश प्रशासन में नियुक्तियों में जातिगत गतिशीलता पर एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट डालने के लिए कई आपराधिक मामले दर्ज हैं [ममता त्रिपाठी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य]।
न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की तीन न्यायाधीशों वाली पीठ ने कहा कि त्रिपाठी के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए और त्रिपाठी द्वारा उनके खिलाफ दर्ज चार प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) को रद्द करने के लिए दायर याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब भी मांगा।
अदालत ने अपने आदेश में कहा, "प्रतिवादी को नोटिस जारी करें। इस बीच याचिकाकर्ता के खिलाफ उसके खिलाफ दर्ज मामलों में कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।"
आज सुनवाई के दौरान त्रिपाठी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने अदालत को बताया कि इसी मामले में एक अन्य पत्रकार अभिषेक उपाध्याय को भी संरक्षण दिया गया है।
दवे ने कहा, "यह वही मामला है जिसमें न्यायमूर्ति रॉय की पीठ ने एक अन्य पत्रकार को संरक्षण दिया था। उनके (उपाध्याय के संदर्भ में) खिलाफ केवल एक एफआईआर दर्ज है, जबकि मेरे खिलाफ इसी मामले में चार एफआईआर दर्ज हैं।"
इस पर गौर करते हुए अदालत ने त्रिपाठी को अंतरिम संरक्षण देने का आदेश दिया।
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