सुप्रीम कोर्ट ने मामले को सूचीबद्ध न करने के आरोप में अदालत के महासचिव के खिलाफ एओआर द्वारा दायर अवमानना याचिका खारिज की

न्यायमूर्ति बीआर गवई और प्रशांत कुमार मिश्रा ने पूछा, "क्या अब मामले सूचीबद्ध नहीं होने पर न्यायाधीशों के खिलाफ भी अवमानना होगी।"
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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक मामले को सूचीबद्ध न करने के लिए शीर्ष अदालत के महासचिव और रजिस्ट्रार (न्यायिक प्रशासन) के खिलाफ एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड (एओआर) द्वारा दायर अदालत की अवमानना ​​याचिका को खारिज कर दिया [मनोज बनाम यूपी राज्य]

न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा ने वकील द्वारा अपनाई गई कार्रवाई की कड़ी निंदा की और कहा कि यह 'धमकाने की रणनीति' थी।

कोर्ट ने पूछा, "हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं। यह और कुछ नहीं बल्कि एक डराने वाली रणनीति है। क्या अब मामले सूचीबद्ध नहीं होने पर न्यायाधीशों के खिलाफ भी अवमानना होगी।"

इसके बाद यह याचिका खारिज करने के लिए आगे बढ़ा।

याचिका एओआर देवरात ने दायर की थी।

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Supreme Court junks contempt plea filed by AoR against court's Secretary General alleging non-listing of case

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