
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार के साथ-साथ सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) से शराब की दुकानों पर प्रभावी और अनिवार्य आयु-जांच की मांग करने वाली याचिका पर जवाब मांगा। [कम्यूनिटी अगेंस्ट ड्रंकन ड्राइविंग बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य]
जनहित याचिका (पीआईएल) एक गैर-लाभकारी संगठन कम्युनिटी अगेंस्ट ड्रंकन ड्राइविंग (सीएडीडी) द्वारा अपने संस्थापक और सामाजिक कार्यकर्ता प्रिंस सिंघल के माध्यम से दायर की गई है।
याचिकाकर्ता के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता पीबी सुरेश और एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड (एओआर) विपिन नायर ने आज न्यायमूर्ति बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की खंडपीठ के समक्ष इस बात पर प्रकाश डाला कि आजकल, छोटे बच्चे बिना किसी प्रतिबंध के खुलेआम शराब खरीद रहे हैं।
वकील ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जिन देशों में शराब खरीदने के लिए अधिक (बड़ी) आयु सीमा है, वहां अपराध दर कम है।
इसके जवाब में न्यायालय ने अफसोस जताया कि नाबालिगों को शराब पीने से रोकने के लिए व्यावहारिक रूप से बहुत कुछ नहीं किया जा सकता है, क्योंकि नाबालिग हमेशा अपने घरेलू सहायक या अन्य वयस्क व्यक्तियों से शराब खरीदवा सकते हैं।
न्यायमूर्ति गवई ने कहा, "हम क्या कर सकते हैं? वे सीधे शराब खरीदने के बजाय अपने नौकरों को भेज सकते हैं।"
हालांकि, सीएडीडी के वकील ने न्यायालय से मौजूदा प्रतिबंधों को और सख्त बनाने का अनुरोध किया।
अंततः न्यायालय ने मामले में नोटिस जारी किया और केंद्र सरकार तथा सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा, जिसमें नाबालिगों को शराब पीने से रोकने के लिए नियमों को सख्ती से लागू करने की मांग की गई है।
याचिकाकर्ता ने देश भर में शराब पीकर गाड़ी चलाने की बढ़ती घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए शराब की बिक्री के सभी स्थानों पर अनिवार्य आयु सत्यापन प्रणाली स्थापित करने के लिए एक मजबूत नीति के कार्यान्वयन के लिए दिशा-निर्देश मांगे हैं।
याचिका में किसी व्यक्ति की उम्र की जाँच या सत्यापन के लिए किसी कानूनी ढाँचे या ठोस तंत्र की कमी पर भी प्रकाश डाला गया है, जो या तो बार, पब या रेस्तरां से या सीधे शराब की दुकान से शराब खरीदता है।
याचिका में कहा गया है कि इसके कारण, शराब के नशे में गाड़ी चलाने वाले नाबालिगों की वजह से होने वाली कई घातक दुर्घटनाएँ बढ़ रही हैं।
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Supreme Court to hear PIL for mandatory age-check at liquor shops