सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों को पेंशन देने के निर्देशों को चुनौती देते हुए अपील दायर करने पर कड़ी आपत्ति जताई [उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य बनाम शशि श्रीवास्तव]।
न्यायमूर्ति अभय ओका और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की अवकाश पीठ का मानना था कि राज्य ने सामान्य पेंशन मामलों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का चलन बना लिया है।
न्यायमूर्ति ओका ने मौखिक रूप से टिप्पणी की, "राज्य किसी को पेंशन मिलने से रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में आ रहा है। यह क्या हो रहा है? आप किसी को पेंशन पाने से क्यों रोक रहे हैं? हर बार राज्य पेंशन देने के खिलाफ आता है।"
जब उत्तर प्रदेश सरकार के वकील ने इस बात पर जोर दिया कि इस मामले में पेंशनभोगी को तदर्थ आधार पर नियुक्त किया गया था और पेंशन देने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले में त्रुटियां थीं, तो न्यायमूर्ति ओका ने कहा कि जिसने कई वर्षों तक काम किया है, वह पेंशन पाने का हकदार है।
उन्होंने अपील खारिज करने से पहले कहा, "सुप्रीम कोर्ट ऐसे मामलों के लिए नहीं है। जिसने इतने वर्षों तक काम किया है, वह पेंशन पाने का हकदार है।"
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Supreme Court pulls up Uttar Pradesh for filing appeal against order to pay pension