सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव के खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि की शिकायत को रद्द कर दिया, क्योंकि उन्होंने कुछ टिप्पणियों को वापस ले लिया था, जिनका उद्देश्य कथित तौर पर गुजरातियों को बदनाम करना था। [तेजस्वी प्रसाद यादव बनाम हरेशभाई प्राणशंकर मेहता]।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने यादव द्वारा मानहानि मामले को गुजरात से बाहर किसी अदालत में स्थानांतरित करने की याचिका पर यह आदेश पारित किया।
पीठ ने कहा, ''हमने याचिकाकर्ता द्वारा रिकॉर्ड पर दिए गए अपने बयान वापस लेने के मद्देनजर मामला रद्द कर दिया है। तदनुसार निपटाया गया।"
यादव के खिलाफ आपराधिक मानहानि की शिकायत तब दायर की गई थी जब उन्होंने कथित तौर पर टिप्पणी की थी कि "केवल गुजराती ही धोखा दे सकते हैं।
ऑल इंडिया एंटी-करप्शन एंड क्राइम प्रिवेंटिव काउंसिल नामक संगठन के उपाध्यक्ष हरेश मेहता ने अहमदाबाद की एक मजिस्ट्रेट अदालत में शिकायत दर्ज कराई है।
मेहता ने कहा कि यादव की टिप्पणी से गुजरातियों को "मानसिक और शारीरिक नुकसान" पहुंचा है और मजिस्ट्रेट अदालत से यादव को तलब करने का आग्रह किया।
आरोपी बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने अंततः मानहानि के मुकदमे को गुजरात से 'तटस्थ स्थान' पर स्थानांतरित करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
नवंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने यादव की याचिका पर नोटिस जारी करते हुए कार्यवाही पर रोक लगा दी थी।
बाद में अदालत ने राजद नेता से पूछा कि क्या वह संबंधित टिप्पणी वापस लेने के इच्छुक हैं और इस संबंध में विशिष्ट बयान देने को कहा।
यादव ने अब अपनी टिप्पणी वापस ले ली है, इसलिए अदालत ने उनके खिलाफ मानहानि की कार्यवाही रद्द कर दी।
यादव की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल , अधिवक्ता वरुण जैन, नवीन कुमार, अखिलेश सिंह और राधिका गोयल भी पेश हुए।
और अधिक पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें