सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ अपील पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कथित आपत्तिजनक ट्वीट पोस्ट करने और आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) का उल्लंघन करने के लिए भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या के खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगा दी गई थी। [Campaign against Hate Speech v. LS Tejasvi Surya and Ors]
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने सवाल किया कि याचिकाकर्ताओं ने पहले उच्च न्यायालय का दरवाजा क्यों नहीं खटखटाया।
कोर्ट ने पूछा "हर कोई सुप्रीम कोर्ट की ओर भागता रहता है। अगर हम नोटिस जारी करते हैं तो क्या हम कोई विचार कर रहे हैं? नहीं। यह सिर्फ एक अंतरिम दृष्टिकोण है। उच्च न्यायालय क्यों नहीं?"
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील शादान फरासत ने याचिका वापस लेने की पेशकश की, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।
पीठ 22 मार्च के कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रही थी।
वहीं, न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित ने सूर्या के खिलाफ उनके ट्वीट के लिए दर्ज की गई प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) पर रोक लगा दी थी।
एनडीटीवी के मुताबिक, चुनाव आयोग और बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) की शिकायत के बाद मामला दर्ज किया गया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सूर्या ने अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाया था और दो समुदायों के बीच दुश्मनी फैलाई थी।
शिकायत के आधार पर, सूर्या के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 295ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य) के साथ-साथ लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
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