सुप्रीम कोर्ट ने बीसीआई, स्टेट बार काउंसिल में महिला वकीलों के लिए 30% आरक्षण की मांग वाली याचिका खारिज की

हिमाचल प्रदेश और केरल के दो प्रैक्टिसिंग वकीलों द्वारा दायर याचिका में बीसीआई द्वारा 14 जनवरी को बीसीआई के पदाधिकारियों के चुनाव के लिए जारी अधिसूचना को रद्द करने की मांग की गई थी।
BCI and Supreme Court

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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) और स्टेट बार काउंसिल में महिला वकीलों के लिए 30 प्रतिशत आरक्षण की मांग करने वाली दो महिला वकीलों की याचिका खारिज कर दी। [पूजा गुप्ता बनाम बार काउंसिल ऑफ इंडिया]।

अधिवक्ता पूजा गुप्ता और जूली जॉर्ज द्वारा दायर याचिका में क्रमश: हिमाचल प्रदेश और केरल के दो प्रैक्टिस करने वाले वकीलों ने बीसीआई द्वारा 14 जनवरी को बीसीआई के पदाधिकारियों के चुनाव के लिए जारी अधिसूचना को रद्द करने की मांग की थी।

याचिका ने कहा, "बार काउंसिल ऑफ इंडिया के पदाधिकारियों के चुनाव कराने के लिए प्रतिवादी संख्या 1 द्वारा जारी 14.01.2022 की चुनाव अधिसूचना अवैध है और भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 19 (1) (जी) और अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। चूंकि इन चुनावों में महिलाओं के पर्याप्त प्रतिनिधित्व के लिए कोई प्रावधान किए बिना बार-बार चुनाव हो रहे हैं।"

जस्टिस एल नागेश्वर राव और अभय एस ओका की बेंच ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

आदेश मे कहा गया है कि, "हम भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर इस रिट याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं, जिसमें बार काउंसिल ऑफ इंडिया के पदाधिकारियों के चुनाव कराने के लिए प्रतिवादी संख्या 1 द्वारा जारी चुनाव अधिसूचना दिनांक 14.01.2022 को चुनौती दी गई है। रिट याचिका खारिज की जाती है।"

याचिका को खारिज करते हुए, अदालत ने याचिकाकर्ताओं को बीसीआई से संपर्क करने और उनकी शिकायतों के निवारण के लिए एक प्रतिनिधित्व करने की स्वतंत्रता दी।

[आदेश पढ़ें]

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Supreme Court dismisses plea seeking 30% reservation for women lawyers in BCI, State Bar Councils

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