सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली आबकारी नीति के संबंध में उनके खिलाफ धन शोधन मामले में आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया को जमानत देने से इनकार कर दिया। [मनीष सिसोदिया बनाम प्रवर्तन निदेशालय]
न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की अवकाश पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की दलील दर्ज की कि मामले में 3 जुलाई तक आरोपपत्र दाखिल कर दिया जाएगा।
अदालत ने स्पष्ट किया कि वह मामले के गुण-दोष पर कुछ नहीं कह रही है और यह भी कहा कि सिसोदिया को नए सिरे से जमानत के लिए आवेदन करने की स्वतंत्रता होगी।
कोर्ट ने कहा "हम कुछ नहीं कहेंगे। हम आपकी प्रार्थनाओं को पुनर्जीवित करने के लिए स्वतंत्रता के साथ निपटारा करेंगे। हम गुण-दोष के आधार पर कुछ नहीं कह रहे हैं और सभी तर्क खुले हैं। सीबीआई और ईडी दोनों मामलों में आदेश (सामान्य) है.... तदनुसार आदेश दिया गया और निपटारा किया गया। एसजी का बयान कि अंतिम आरोपपत्र 3 जुलाई तक दाखिल किया जाएगा।"
हालांकि, कोर्ट ने यह स्पष्ट नहीं किया कि जमानत के लिए नए सिरे से आवेदन करने की स्वतंत्रता ट्रायल कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में होगी।
सिवोदिया की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट जाने की स्वतंत्रता? मैं 15 महीने से अंदर हूं। मैं बहुत स्पष्ट रूप से कह दूं कि ट्रायल कोर्ट राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामलों को (समय पर) नहीं निपटाते हैं।"
हालांकि, कोर्ट ने इस संबंध में कोई स्पष्टीकरण जारी नहीं किया।
सिसोदिया 26 फरवरी, 2023 से हिरासत में हैं। पीठ हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उनकी अपील पर सुनवाई कर रही थी।
उच्च न्यायालय ने 21 मई को दिल्ली आबकारी नीति मामले के संबंध में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज मामलों में आम आदमी पार्टी (आप) नेता को जमानत देने से इनकार कर दिया था।
एकल न्यायाधीश न्यायमूर्ति स्वर्णकांता शर्मा ने कहा था कि अभियोजन पक्ष ने प्रथम दृष्टया धन शोधन का मामला बनाया है।
उच्च न्यायालय ने कहा था कि सिसोदिया का आचरण "लोकतांत्रिक सिद्धांतों के साथ बड़ा विश्वासघात" है, जबकि यह भी कहा था कि मुकदमे में देरी के लिए सीबीआई और ईडी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
इस मामले में आरोप है कि दिल्ली सरकार के अधिकारियों ने रिश्वत के बदले कुछ व्यापारियों को शराब के लाइसेंस देने के लिए मिलीभगत की थी। आरोपी अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने कुछ शराब विक्रेताओं को लाभ पहुंचाने के लिए आबकारी नीति में फेरबदल किया।
हाल ही में ट्रायल कोर्ट ने सिसोदिया की सीबीआई और ईडी दोनों मामलों में जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद हाईकोर्ट में यह याचिका दायर की गई।
सिसोदिया द्वारा दायर जमानत याचिकाओं का यह दूसरा दौर है।
इससे पहले 2023 में जमानत याचिकाओं का एक दौर खारिज किया गया था। सीबीआई मामले में सिसोदिया की जमानत याचिका 31 मार्च, 2023 को खारिज कर दी गई थी। 28 अप्रैल, 2023 को ट्रायल कोर्ट ने ईडी मामले में उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी।
दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा और अक्टूबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे बरकरार रखा।
हालांकि, उस समय सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर मुकदमा धीमी गति से आगे बढ़ता है तो सिसोदिया फिर से जमानत के लिए अर्जी दाखिल कर सकते हैं।
इसके बाद उन्होंने जमानत याचिका का मौजूदा दौर दायर किया।
सिसोदिया की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने ईडी के इस तर्क का विरोध किया कि वे मुकदमे में देरी कर रहे हैं।
ईडी का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार ने कहा कि सिसोदिया मुकदमे को लंबा खींच रहे हैं और फिर आरोप लगा रहे हैं कि मुकदमा बहुत धीमी गति से चल रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि ईडी जल्द ही मामले में आरोपपत्र दाखिल करेगा।
उन्होंने कहा, "हम 2 सप्ताह के भीतर अंतिम आरोपपत्र दाखिल करेंगे। माननीय न्यायाधीश दिन-प्रतिदिन सुनवाई का निर्देश दे सकते हैं।"
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Supreme Court refuses to grant bail to Manish Sisodia in Delhi Excise Policy case