
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दहेज निषेध अधिनियम 1961 के प्रमुख प्रावधानों की वैधता को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर दिया। [रूपशी सिंह बनाम भारत संघ]
न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता संसद के समक्ष इस मुद्दे को उठा सकते हैं।
याचिकाकर्ता रूपशी सिंह ने अधिनियम की धारा 2, 3 और 4 को चुनौती दी।
धारा 2 दहेज को परिभाषित करती है, जबकि धारा 3 दहेज लेने और देने को दंडित करती है।
धारा 4 दहेज मांगने को दंडित करती है।
याचिकाकर्ता ने न्यायालय से कहा, "ये कानून अमान्य हैं। मैं जनहितैषी हूं।"
पीठ ने कहा, "खारिज। संसद जाकर बताइए।"
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Supreme Court rejects PIL to strike down Dowry Prohibition Act