सुप्रीम कोर्ट ने विनायक सावरकर के बारे मे "तथ्य स्थापित करने",उनके नाम के दुरुपयोग को रोकने के लिए दायर जनहित याचिका खारिज की

मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता के किसी भी मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं हुआ है और इसलिए अदालत इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती।
Vinayak Savarkar
Vinayak Savarkar
Published on
2 min read

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक जनहित याचिका (पीआईएल) खारिज कर दी, जिसमें हिंदुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर के बारे में "कुछ तथ्य स्थापित करने" और उनके नाम के दुरुपयोग को रोकने के निर्देश देने की मांग की गई थी।

मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता के किसी भी मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं हुआ है और इसलिए न्यायालय हस्तक्षेप नहीं कर सकता।

याचिका डॉ. पंकज फडनीस ने दायर की थी, जो व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए।

उन्होंने सावरकर का नाम प्रतीक और नाम (अनुचित प्रयोग की रोकथाम) अधिनियम, 1950 की अनुसूची में शामिल करने की मांग की - यह कानून व्यावसायिक और वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए कुछ प्रतीकों और नामों के अनुचित उपयोग को रोकने के लिए बनाया गया था।

फडनीस ने कहा, "मैं 65 साल का हूं। मैं पिछले 30 सालों से उन (सावरकर) पर शोध कर रहा हूं। मैं लोकसभा अध्यक्ष को यह निर्देश देने का भी अनुरोध करता हूं कि वे उनका नाम प्रतीक और नाम (अनुचित प्रयोग की रोकथाम) अधिनियम, 1950 की अनुसूची में शामिल करें। अनुच्छेद 51ए मौलिक कर्तव्य है। विपक्ष के नेता मेरे मौलिक कर्तव्यों में बाधा नहीं डाल सकते।"

अदालत ने कहा, "इसमें आपके मौलिक अधिकार का उल्लंघन क्या है? हम इस तरह की रिटों पर विचार नहीं कर सकते। हमें हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं मिला। मांगी गई राहत नहीं दी जा सकती। याचिका खारिज की जाती है।"

CJI BR Gavai and Justice AG Masih
CJI BR Gavai and Justice AG Masih

हाल ही में शीर्ष अदालत की एक अन्य पीठ ने विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर यह कहने के लिए कड़ी आपत्ति जताई थी कि विनायक दामोदर सावरकर अंग्रेजों के सहयोगी थे, जिन्हें अंग्रेजों से पेंशन मिलती थी।

न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और मनमोहन की पीठ ने कहा था कि स्वतंत्रता सेनानी के खिलाफ गांधी के बयान गैरजिम्मेदाराना थे और अगर वह इसी तरह के बयान देते हैं तो अदालत स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई करेगी।

फिर भी, पीठ ने विवादास्पद बयानों के लिए उनके खिलाफ शुरू किए गए आपराधिक मामले में उनकी टिप्पणियों के लिए मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा उन्हें जारी किए गए समन पर रोक लगा दी थी।

और अधिक पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें


Supreme Court rejects PIL to "establish facts" about Vinayak Savarkar, prevent misuse of his name

Hindi Bar & Bench
hindi.barandbench.com