

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उस नोटिफिकेशन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी, जिसके कारण कोल्हापुर में बॉम्बे हाईकोर्ट की सर्किट बेंच बनाई गई थी।
वकील रंजीत बाबूराव निम्बालकर की याचिका को जस्टिस अरविंद कुमार और NV अंजारिया की बेंच ने खारिज कर दिया।
कोल्हापुर में सर्किट बेंच का उद्घाटन अगस्त में तत्कालीन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) BR गवई ने किया था।
इसका अधिकार क्षेत्र सतारा, सांगली, सोलापुर, कोल्हापुर, रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग इन छह जिलों पर है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में यह तर्क दिया गया कि जसवंत सिंह कमीशन द्वारा बताए गए मानदंडों के तहत ऐसी बेंचों की स्थापना एक नियम के बजाय एक अपवाद होनी चाहिए।
याचिका में कहा गया है, "दूरी के अलावा, इन मानदंडों में यह भी शामिल था कि क्या उस क्षेत्र से प्रिंसिपल सीट में मुकदमेबाजी कुल मामलों का कम से कम 1/3 हिस्सा थी, हाईकोर्ट में निपटारे की दर कैसी थी, क्या जजों की संख्या में बढ़ोतरी एक प्रभावी उपाय होगा।"
इसमें यह भी कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में इस बात पर ज़ोर दिया था कि सर्किट बेंच बनाने का फैसला लेते समय हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को हाई कोर्ट के दूसरे जजों की राय जाननी चाहिए।
इस संदर्भ में, याचिका में तर्क दिया गया कि बॉम्बे हाईकोर्ट के जजों के बीच ऐसी किसी सलाह-मशविरे की प्रक्रिया के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
वकील निंबालकर ने यह भी आरोप लगाया कि कोल्हापुर में सर्किट बेंच से हाई कोर्ट की मशीनरी पर बहुत ज़्यादा प्रशासनिक बोझ पड़ेगा।
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