सुप्रीम कोर्ट ने अद्वैत दर्शन का पालन करने वाले स्मार्त ब्राह्मणों को अल्पसंख्यक घोषित करने की याचिका खारिज की

कोर्ट ने कहा कि अगर याचिका की अनुमति दी जाती है, तो "हमारे पास अल्पसंख्यकों का देश होगा" क्योंकि बहुत से लोग अद्वैत दर्शन का पालन करते हैं।
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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अद्वैत दर्शन का पालन करने वाले स्मार्त ब्राह्मणों को एक अलग धार्मिक संप्रदाय घोषित करने और उन्हें अल्पसंख्यक का दर्जा देने की याचिका खारिज कर दी।

न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ ने मद्रास उच्च न्यायालय के एक फैसले के खिलाफ तमिलनाडु राज्य में रहने वाले स्मार्त ब्राह्मणों द्वारा दायर एक अपील को खारिज कर दिया, जिसमें उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी।

कोर्ट ने कहा कि अगर याचिका की अनुमति दी जाती है, तो "हमारे पास अल्पसंख्यकों का देश होगा" क्योंकि बहुत से लोग अद्वैत दर्शन का पालन करते हैं।

मद्रास उच्च न्यायालय ने इस साल जून में यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी थी कि स्मार्त ब्राह्मणों या किसी अन्य नाम से कोई सामान्य संगठन नहीं है।

उच्च न्यायालय ने कहा था, "यह सिर्फ एक जाति/समुदाय है, जिसमें विशेष रूप से उनकी कोई विशेषता नहीं है, जो उन्हें तमिलनाडु के अन्य ब्राह्मणों से अलग करता है।"

अपील अधिवक्ता विनोद कुमार तिवारी के माध्यम से दायर की गई थी।

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Supreme Court rejects plea to declare Smartha Brahmins following Advaita philosophy as minority

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