
सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को फैसला सुनाया कि इस्कॉन बैंगलोर, कर्नाटक सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत एक स्वतंत्र कानूनी पहचान है और यह बेंगलुरु में प्रतिष्ठित हरे कृष्ण मंदिर का मालिक है।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा 2011 में पारित एक फैसले के खिलाफ इस्कॉन बैंगलोर द्वारा दायर याचिका को अनुमति दे दी। उच्च न्यायालय ने इस्कॉन मुंबई के पक्ष में फैसला सुनाया था।
आज के फैसले से इस्कॉन बैंगलोर और इस्कॉन मुंबई के बीच लंबे समय से चल रहे विवाद का पटाक्षेप हो गया है, जिसमें तर्क दिया गया था कि इस्कॉन बैंगलोर केवल इसकी शाखा है और इस प्रकार धार्मिक संपत्ति का मालिक है।
हालांकि, शीर्ष अदालत ने अब फैसला सुनाया है कि इस्कॉन बैंगलोर को इस्कॉन मुंबई की शाखा नहीं कहा जा सकता।
इससे पहले ट्रायल कोर्ट ने भी इस्कॉन बैंगलोर के पक्ष में फैसला सुनाया था, इसके कानूनी अधिकार को मान्यता दी थी और इस्कॉन मुंबई के खिलाफ स्थायी निषेधाज्ञा दी थी। हालांकि, उच्च न्यायालय ने फैसले को पलट दिया था।
वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कार्तिक सेठ, विकास सिंह जांगड़ा और कार्तिक सेठ चैंबर्स के राघव शर्मा के साथ इस्कॉन बैंगलोर का प्रतिनिधित्व किया।
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Supreme Court rules in favour of ISKCON Bangalore in case over Hare Krishna Temple