सुप्रीम कोर्ट ने रामचरितमानस पर टिप्पणी को लेकर सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ आपराधिक मामले पर रोक लगायी

उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य मौर्य ने कथित तौर पर कहा था कि रामचरितमानस की कुछ आयतें महिलाओं, दलितों और अन्य पिछड़े वर्गों के खिलाफ हैं।
Swami Prasad Maurya, Supreme Court
Swami Prasad Maurya, Supreme CourtSwami Prasad Maurya (FB)
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सुप्रीम कोर्ट ने रामायण पर आधारित हिंदू महाकाव्य रामचरितमानस पर समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की टिप्पणी से संबंधित एक मामले में उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर गुरुवार को रोक लगा दी।

न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने मौर्य की याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा, जिसमें मामले को रद्द करने की मांग की गई है।

न्यायमूर्ति मेहता ने आज सुनवाई के दौरान रामचरितमानस पर मौर्य की टिप्पणियों का जिक्र करते हुए यह टिप्पणी की "यह उनकी राय है। यह अपराध कैसे है?' ।

उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य मौर्य ने कथित तौर पर टिप्पणी की थी कि संत एवं कवि तुलसीदास की रचना रामचरितमानस में उनके कुछ छंद महिलाओं, दलितों और अन्य पिछड़े वर्गों के खिलाफ हैं।

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी 2023 में लोगों के एक समूह द्वारा रामचरितमानस के पन्नों को जलाने के बाद मौर्य को पहली सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) में आरोपी के रूप में नामित किया गया था।

समाचार रिपोर्ट के अनुसार, उनकी टिप्पणी के लिए उनके खिलाफ एक और अलग प्राथमिकी भी दर्ज की गई थी।

नवंबर 2023 में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मौर्य की याचिका को खारिज कर दिया कि उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है। हाईकोर्ट ने कहा था कि उनके बयानों ने लोगों को भड़काया है।

इसके बाद मौर्य ने राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

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Supreme Court stays criminal case against SP Leader Swami Prasad Maurya over comments on Ramcharitmanas

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