दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा दिल्ली आबकारी नीति मामले में जमानत और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा गिरफ्तारी को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट कल अपना फैसला सुनाएगा। [अरविंद केजरीवाल बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो]
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की खंडपीठ 5 सितंबर को फैसला सुरक्षित रखने के बाद फैसला सुनाएगी।
केजरीवाल ने शीर्ष अदालत में दो अलग-अलग याचिकाएँ दायर कीं - एक सीबीआई द्वारा उनकी गिरफ़्तारी की वैधता को चुनौती देने वाली और दूसरी ज़मानत की माँग करने वाली।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 5 अगस्त को केजरीवाल की उस संबंध में याचिकाओं को अस्वीकार कर दिया था और उन्हें ज़मानत के लिए निचली अदालत जाने को कहा था।
इसके कारण केजरीवाल ने शीर्ष अदालत में तत्काल अपील की।
सीबीआई ने 26 जून को केजरीवाल को उस समय गिरफ़्तार किया था, जब वे इसी घोटाले के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जाँच किए गए धन शोधन मामले के सिलसिले में न्यायिक हिरासत में थे।
केजरीवाल के ख़िलाफ़ मामला अब समाप्त हो चुकी 2021-22 की दिल्ली आबकारी नीति के निर्माण में कथित अनियमितताओं से उपजा है।
इस मामले में आरोप है कि केजरीवाल सहित आम आदमी पार्टी (आप) के कई नेता शराब लॉबी से रिश्वत के बदले आबकारी नीति में जानबूझकर खामियाँ छोड़ने में शामिल थे। जाँच एजेंसियों ने आरोप लगाया है कि इस अभ्यास से जुटाए गए धन का इस्तेमाल गोवा में आप के चुनाव अभियान के लिए किया गया था।
इस मामले की जांच सीबीआई और ईडी दोनों कर रहे हैं।
केजरीवाल को इस मामले में सबसे पहले 21 मार्च को ईडी ने गिरफ्तार किया था।
बाद में उन्हें ईडी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी थी।
हालांकि, इस अंतरिम जमानत आदेश के बावजूद, वे जेल में ही रहे, क्योंकि सीबीआई ने भी उन्हें 26 जून को इस मामले में औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया था, जबकि वे ईडी मामले के सिलसिले में न्यायिक हिरासत में थे।
इसके बाद उन्होंने पहले ट्रायल कोर्ट जाने के बजाय सीधे हाईकोर्ट का रुख किया, जो कि आरोपी व्यक्तियों द्वारा अपनाई जाने वाली कार्रवाई का सामान्य तरीका है।
जब 5 सितंबर को मामले की सुनवाई हुई, तो सीबीआई ने तर्क दिया कि केजरीवाल को सीधे दिल्ली हाईकोर्ट जाने के बजाय पहले ट्रायल कोर्ट का रुख करना चाहिए था।
सीबीआई ने यह भी तर्क दिया कि अगर केजरीवाल को अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाता है, तो वे सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं और दिल्ली आबकारी नीति मामले में चल रही जांच को बाधित कर सकते हैं।
इसके अलावा, केंद्रीय एजेंसी ने यह भी दावा किया कि अगर केजरीवाल को जमानत दी जाती है, तो दिल्ली हाईकोर्ट का मनोबल गिर जाएगा।
इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आप नेताओं मनीष सिसोदिया और संजय सिंह समेत अन्य प्रमुख नेताओं को जमानत दे दी है। आप के संचार प्रभारी विजय नायर और भारत राष्ट्र समिति की नेता के कविता को भी हाल ही में शीर्ष अदालत ने मामले में जमानत दे दी है।
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