इंडियन एक्सप्रेस और टाइम्स ऑफ इंडिया (टीओआई) ने शुक्रवार को अपने अहमदाबाद संस्करणों में गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में माफी मांगी, जिसमें हाल ही में एक चल रहे मामले में अपनी टिप्पणियों को गलत तरीके से प्रस्तुत करने के लिए उन्हें फटकार लगाई गई थी।
गुरुवार को न्यायालय ने चेतावनी दी थी कि यदि समाचार पत्र माफीनामा प्रकाशित करने में विफल रहे तो उनके खिलाफ न्यायालय की अवमानना का नोटिस जारी किया जाएगा। आज समाचार पत्रों ने अपने पहले पन्ने पर माफीनामा प्रकाशित किया।
दोनों समाचार पत्रों ने कहा कि उनकी रिपोर्टिंग से यह गलत धारणा बनी है कि उच्च न्यायालय ने सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक संस्थानों के अधिकारों से संबंधित मामले में उठने वाले मुद्दों पर निर्णय लिया है।
टीओआई ने अपने माफीनामे में कहा, "समाचार पत्र उच्च न्यायालय की गरिमा का बहुत सम्मान करता है और हम उक्त रिपोर्ट की रिपोर्टिंग में हुई त्रुटि के लिए उच्च न्यायालय और अपने सम्मानित पाठकों से बिना शर्त माफी मांगते हैं।"
मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति प्रणव त्रिवेदी की पीठ ने 13 अगस्त को टाइम्स ऑफ इंडिया और इंडियन एक्सप्रेस के क्षेत्रीय संपादकों को नोटिस जारी कर मामले में अदालती कार्यवाही का "गलत और विकृत विवरण" देने के लिए स्पष्टीकरण मांगा था।
न्यायमूर्ति अग्रवाल ने कहा, "खबर के निर्माण से ऐसा प्रतीत होता है कि अदालत ने अल्पसंख्यक संस्थानों द्वारा संचालित शैक्षणिक संस्थानों को विनियमित करने के अधिकार का प्रयोग करते हुए अल्पसंख्यक संस्थानों द्वारा अपनी पसंद के शिक्षक की नियुक्ति के अधिकार के बारे में राय बना ली है।"
गुरुवार को न्यायालय ने समाचार पत्रों द्वारा न्यायालय के समक्ष दिए गए हलफनामों में मांगी गई माफी पर असंतोष व्यक्त किया।
अदालत ने दोनों मीडिया घरानों को निर्देश दिया कि वे अपने-अपने समाचार पत्रों में इस तरह से माफी प्रकाशित करें जिससे यह स्पष्ट रूप से पता चले कि रिपोर्टर और संपादक न्यायालय की टिप्पणियों को रिपोर्ट करने में गलत थे।
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TOI, Indian Express publish apologies for wrongly reporting Gujarat High Court observations