जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र उमर खालिद ने दिल्ली दंगों की साजिश मामले में जमानत के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
यह मामला 22 जुलाई (सोमवार) को न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह और न्यायमूर्ति अमित शर्मा की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।
खालिद को सितंबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था और उस पर आपराधिक साजिश, दंगा, गैरकानूनी सभा के साथ-साथ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत कई अन्य अपराधों का आरोप लगाया गया था। तब से वह जेल में है।
यह उसकी जमानत याचिका का दूसरा दौर है।
ट्रायल कोर्ट ने पहली बार मार्च 2022 में उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसने भी अक्टूबर 2022 में उन्हें राहत देने से इनकार कर दिया, जिसके बाद उन्हें शीर्ष अदालत में अपील दायर करनी पड़ी।
मई 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने मामले में दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा। उसके बाद शीर्ष अदालत में उनकी याचिका को 14 बार स्थगित किया गया।
14 फरवरी, 2024 को उन्होंने परिस्थितियों में बदलाव का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट से अपनी ज़मानत याचिका वापस ले ली।
जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और पंकज मिथल की सुप्रीम कोर्ट की बेंच को 14 फरवरी को मामले की सुनवाई करनी थी, जब खालिद के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत को सूचित किया कि ज़मानत याचिका वापस ली जा रही है।
सिब्बल ने कहा था, "हम परिस्थितियों में बदलाव के कारण वापस लेना चाहते हैं और उचित राहत के लिए ट्रायल कोर्ट का रुख करना चाहते हैं।"
28 मई को ट्रायल कोर्ट ने उनकी दूसरी ज़मानत याचिका खारिज कर दी।
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Umar Khalid moves Delhi High Court for bail in Delhi riots conspiracy case