

2020 के दिल्ली दंगों में आरोपी, उमर खालिद ने गुरुवार को दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया, सामग्री और केस कानून, जो दंगों से पहले उनके द्वारा दिए गए भाषणों में उनके द्वारा इस्तेमाल किए गए 'क्रांतिकारी' और 'इंकलाब' शब्दों के अर्थ की व्याख्या करते हैं।
कोर्ट ने कहा कि दस्तावेज रिकॉर्ड में नहीं आए हैं और इसलिए मामले की सुनवाई कल के लिए स्थगित कर दी।
खालिद पर भारतीय दंड संहिता और गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत अपराध का मुकदमा चल रहा है।
बुधवार को खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और रजनीश भटनागर की बेंच ने सवाल किया था कि उमर खालिद का क्या मतलब है जब उन्होंने अमरावती में दिए अपने भाषण में "इंकलाब" और "क्रांतिकारी" शब्दों का इस्तेमाल किया।
पीठ ने खालिद की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता त्रिदीप पेस से उन शब्दों के अर्थ और संदर्भ के बारे में बताने के लिए कहा था जिसमें उनका इस्तेमाल किया गया था क्योंकि यह समझना जरूरी था कि क्या वह उस साजिश का हिस्सा थे जिसके परिणामस्वरूप 2020 के दिल्ली दंगे हुए थे।
गुरुवार सुबह जब मामले की सुनवाई की गई तो खालिद के वकील ने बताया कि केस कानूनों के संकलन समेत दस्तावेज कोर्ट को सौंप दिए गए हैं।
पेस ने अदालत को सूचित किया कि दस्तावेजों में 'क्रांतिकारी' और 'इंकलाब' का अर्थ समझाने के लिए सामग्री शामिल है।
पेस ने यूएपीए से संबंधित निर्णय और केस कानून के साथ-साथ "अपील के निर्णय के लिए आवश्यक" अन्य सामग्री भी प्रस्तुत की हैं।
दिल्ली पुलिस ने खालिद को इस मामले में 13 सितंबर, 2020 को गिरफ्तार किया था और उसी वर्ष 22 नवंबर को यूएपीए और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप पत्र दायर किया था।
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Umar Khalid submits before Delhi High Court documents explaining meaning of 'Krantikari', 'Inquilab'