लखनऊ की एक सत्र अदालत ने अवैध सामूहिक धर्म परिवर्तन मामले में सोलह व्यक्तियों को धोखाधड़ी, भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने और विभिन्न धर्मों के बीच नफरत भड़काने सहित विभिन्न आरोपों में दोषी ठहराया है।
न्यायाधीश विवेकानंद सरन त्रिपाठी ने यह फैसला सुनाया।
अदालत ने मौलाना उमर गौतम और मोहम्मद कलीम सिद्दीकी समेत 12 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है, जबकि बाकी चार को दस साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है।
दोषी ठहराए गए लोगों में मौलाना उमर गौतम, अरशान मुस्तफा उर्फ भूप्रिया बंदो, आदम उर्फ प्रसाद रामेश्वरम कोवरे, अब्दुल मन्नान उर्फ मुन्नू यादव, मोहम्मद आतिफ उर्फ कुणाल अशोक चौधरी, मुफ्ती काजी जहांगीर कासमी, कौशर आलम, फराज बबुल्लाह शाह, इरफान शेख, सलाहुद्दीन जैनुद्दीन शेख, धीरज गोविंद, राहुल बोला, मोहम्मद कलीम सिद्दीकी, मोहम्मद सलीम, सरफराज अली जाफरी और अब्दुल्ला उमर शामिल हैं।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, सभी आरोपी उत्तर प्रदेश में लोगों का सामूहिक धर्म परिवर्तन कराकर राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त थे।
अभियोजन पक्ष ने कहा कि उन्होंने सार्वजनिक रूप से इस्लाम का प्रचार किया और धर्म परिवर्तन कराने वाले लोगों के लिए पुनर्वास की व्यवस्था की।
यूपी आतंकवाद निरोधी दस्ते (यूपी एटीएस) ने 2021 में सभी आरोपियों को गिरफ्तार किया था।
आपराधिक मुकदमा 2022 में शुरू हुआ। 12 सितंबर (बुधवार) को उनकी सजा सुनाए जाने से पहले, उन्हें 11 सितंबर (मंगलवार) को आरोपित अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया था।
अवैध धर्म परिवर्तन के अलावा, उन पर ऐसी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए पर्याप्त धन जुटाने का भी आरोप था। जिन अपराधों के तहत उन्हें दोषी ठहराया गया है, उनमें उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 और विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 की धारा 35 (अधिनियम के उल्लंघन में विदेशी मुद्रा स्वीकार करने की सजा) शामिल हैं।
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UP court convicts 16 in illegal mass religious conversion case