उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हाल ही में लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे एक अंतर-धार्मिक जोड़े को इस शर्त पर पुलिस सुरक्षा प्रदान की है कि वे 48 घंटे के भीतर उत्तराखंड के समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के तहत अपने रिश्ते को पंजीकृत कराएं।
याचिकाकर्ताओं ने न्यायालय से सुरक्षा की मांग करते हुए दावा किया कि वे अंतर-धार्मिक जोड़े हैं और लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं तथा उन्हें लड़की के माता-पिता और भाई द्वारा धमकाया जा रहा है।
न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की पीठ ने लता सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (अंतर-धार्मिक जोड़ों को सुरक्षा) में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा किया तथा निर्देश दिया कि यदि जोड़े यूसीसी के तहत अपने रिश्ते के पंजीकरण के लिए आवेदन करते हैं तो पुलिस को उन्हें सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए।
अदालत ने निर्देश दिया, "हम यह प्रावधान करते हुए रिट याचिका का निपटारा करते हैं कि यदि याचिकाकर्ता 48 घंटे के भीतर उपरोक्त अधिनियम के तहत पंजीकरण के लिए आवेदन करते हैं, तो एसएचओ, पीएस डालनवाला, देहरादून याचिकाकर्ताओं को छह सप्ताह की अवधि के लिए पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करेंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि निजी प्रतिवादियों या उनके इशारे पर काम करने वाले किसी अन्य व्यक्ति से उन्हें कोई नुकसान न पहुंचे। छह सप्ताह की अवधि समाप्त होने पर, संबंधित एसएचओ याचिकाकर्ताओं को खतरे की धारणा पर गौर करेंगे और आवश्यकतानुसार उचित कार्रवाई करेंगे।"
समान नागरिक संहिता, उत्तराखंड, 2024 की धारा 378 में लिव-इन रिलेशनशिप में भागीदारों द्वारा बयान प्रस्तुत करने के बारे में बताया गया है और कहा गया है:
"(1) राज्य के भीतर लिव-इन रिलेशनशिप में भागीदारों के लिए, चाहे वे उत्तराखंड के निवासी हों या नहीं, धारा 381 की उप-धारा (1) के तहत लिव-इन रिलेशनशिप का बयान उस रजिस्ट्रार को प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा जिसके अधिकार क्षेत्र में वे रह रहे हैं।"
सुनवाई के दौरान राज्य के वकील ने पीठ को बताया कि उत्तराखंड में लागू समान नागरिक संहिता के तहत लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले भागीदारों को उचित रजिस्ट्रार के पास पंजीकरण कराना होता है।
उन्होंने बताया कि दंपत्ति ने उक्त आवश्यकता का पालन नहीं किया है।
इसके बाद याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि वे समान नागरिक संहिता के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत आवेदन करेंगे।
इन टिप्पणियों के साथ, न्यायालय ने दंपत्ति को समान नागरिक संहिता, उत्तराखंड, 2024 के तहत अपने रिश्ते को पंजीकृत कराने का निर्देश दिया।
याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता मोहम्मद मतलूब ने किया।
प्रतिवादी की ओर से महाधिवक्ता जेएस विर्क और अधिवक्ता आरके जोशी पेश हुए।
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