उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने वकीलों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए राज्य बार काउंसिल द्वारा बढ़ाई गई फीस पर रोक लगा दी
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य में वकीलों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए भुगतान की जाने वाली फीस बढ़ाने के राज्य बार काउंसिल के फैसले पर रोक लगा दी है [सत्य देवी त्यागी बनाम उत्तराखंड राज्य और अन्य]।
मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने कहा कि जब तक बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) इस मामले पर अंतिम फैसला नहीं ले लेती, तब तक अधिवक्ताओं के खिलाफ शिकायतों पर 1,750 रुपये की पूर्व फीस के भुगतान पर विचार किया जाएगा, न कि 5,500 रुपये की बढ़ी हुई फीस पर।
अदालत ने आदेश दिया, "बार काउंसिल ऑफ इंडिया के निर्णय के लंबित रहने तक... अधिवक्ताओं के खिलाफ शिकायतों पर केवल 1750 रुपये की फीस के भुगतान पर ही विचार किया जाएगा।"
यह आदेश एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर पारित किया गया, जिसमें अधिवक्ताओं के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए शुल्क ₹1,750 से बढ़ाकर ₹5,500 करने के राज्य बार काउंसिल के फैसले को चुनौती दी गई थी।
याचिकाकर्ता, एक सेवानिवृत्त सरकारी शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता, ने तर्क दिया कि बढ़ी हुई फीस बीसीआई द्वारा ऐसी शिकायतें दर्ज करने के लिए निर्धारित शुल्क से अलग है।
उत्तराखंड बार काउंसिल ने बाद में एक जवाबी हलफनामे के जरिए अदालत को बताया कि जब तक बीसीआई फीस वृद्धि के लिए राज्य बार काउंसिल के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दे देती, तब तक वह ₹5,500 की बढ़ी हुई फीस नहीं वसूलेगी। अदालत ने अपने आदेश में इस दलील को दर्ज किया।
अदालत ने राज्य बार काउंसिल को शिकायतकर्ताओं से अब तक वसूले गए अतिरिक्त शुल्क को वापस करने का भी आदेश दिया।
न्यायालय ने 18 सितंबर को याचिका का निपटारा करते हुए अपने आदेश में कहा, "इसके अलावा यह भी निर्देश दिया जा रहा है कि 20 शिकायतकर्ताओं के मामले में, जिन्होंने 5500 रुपये फीस के रूप में अदा किए हैं, उत्तराखंड बार काउंसिल द्वारा 5500 रुपये में से 1750 रुपये की कटौती करके शेष राशि सभी 20 शिकायतकर्ताओं को लौटाने के लिए कदम उठाए जाएंगे।"
याचिकाकर्ता सत्य देव त्यागी की ओर से अधिवक्ता कार्तिकेय हरि गुप्ता और पल्लवी बहुगुणा पेश हुए।
उत्तराखंड राज्य की ओर से उप महाधिवक्ता ममता बिष्ट पेश हुईं।
उत्तराखंड बार काउंसिल की ओर से अधिवक्ता पीयूष गर्ग पेश हुए।
बीसीआई की ओर से अधिवक्ता संदीप तिवारी पेश हुए।
भारत संघ की ओर से अधिवक्ता मनोज कुमार पेश हुए।
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