दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को भगोड़े धर्मगुरु वीरेंद्र देव दीक्षित के आश्रम के मामलों की जांच के लिए आईपीएस अधिकारी किरण बेदी की देखरेख में एक समिति का गठन किया, जहां महिलाएं अमानवीय परिस्थितियों में रह रही थीं।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की खंडपीठ ने कहा कि समिति का गठन यह सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है कि संस्था में किसी भी महिला या बच्चे के साथ ऐसा व्यवहार न किया जाए जो उनके मौलिक या अन्य कानूनी अधिकारों का उल्लंघन हो।
कोर्ट ने कहा कि समिति का उद्देश्य यह भी सुनिश्चित करना है कि कमजोर वर्गों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए संस्थान की उचित सतर्कता और जांच हो।
कोर्ट ने कहा कि पुडुचेरी की पूर्व उपराज्यपाल किरण बेदी उक्त समिति की निगरानी के लिए तुरंत सहमत हो गई हैं।
न्यायमूर्ति सांघी ने कहा, "आइए हम राजनीति को कुछ समय के लिए छोड़ दें। कृपया उन्हें (बेदी को) उनके कारण की समझ के लिए कुछ श्रेय दें। सिर्फ इसलिए कि उनका एक राजनीतिक दल के प्रति झुकाव है, समाज के लिए उनकी सेवा को नहीं छीनता है।"
कोर्ट ने यह भी कहा कि समिति को संस्थान में अपने परिसर का निरीक्षण करने और नियमित रूप से कैदियों के साथ स्वतंत्र रूप से बातचीत करने की सुविधा प्रदान की जाएगी।
समय-समय पर इसमें शामिल होने वाले कैदियों के संबंध में संस्था के रिकॉर्ड भी निरीक्षण के लिए उपलब्ध कराए जाएंगे। अदालत ने आदेश दिया कि समिति संस्था में कैदियों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का आकलन करने के लिए डॉक्टरों, मनोचिकित्सकों और अन्य विशेषज्ञों की सहायता ले सकती है।
समिति को मासिक आधार पर अपनी रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है।
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