इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 26 जून को कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लोकसभा चुनाव को चुनौती देने वाली जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई स्थगित कर दी।
ऐसा तब हुआ जब न्यायालय ने पाया कि उसने 2016 में एक अन्य मामले में निर्देश पारित किया था, जिसके अनुसार याचिकाकर्ता के वकील अशोक पांडे की किसी भी याचिका पर तभी विचार किया जाएगा, जब उसके साथ 25,000 रुपये का डिमांड ड्राफ्ट (डीडी) होगा।
न्यायमूर्ति आलोक माथुर और अरुण कुमार सिंह देशवाल की पीठ ने पाया कि रजिस्ट्री ने इस संबंध में कोई रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की है।
इसलिए, उसने इस बारे में रिपोर्ट मांगी कि पांडे ने 2016 के निर्देश का अनुपालन किया है या नहीं।
न्यायालय ने मामले की सुनवाई 1 जुलाई के लिए निर्धारित करते हुए निर्देश दिया, "इस न्यायालय ने हिंदू पर्सनल लॉ बोर्ड बनाम भारत संघ एवं अन्य के मामले में रिट याचिका संख्या 8216 (एम/बी) वर्ष 2016 में इस न्यायालय की खंडपीठ के निर्णय का अवलोकन किया है, जिसमें याचिकाकर्ता के विद्वान अधिवक्ता के कहने पर दायर रिट याचिकाओं की जांच करने के लिए इस न्यायालय की रजिस्ट्री को कुछ निर्देश दिए गए थे। इस न्यायालय की रजिस्ट्री द्वारा उक्त निर्णय के अनुपालन में ऐसी कोई रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई है और तदनुसार, रजिस्ट्री को इस न्यायालय की खंडपीठ के उक्त निर्णय की जांच करने और अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जाता है।"
कर्नाटक निवासी एस विग्नेश शिशिर की याचिका के अनुसार, राहुल गांधी को संसद सदस्य का पद संभालने के लिए अयोग्य ठहराया जाता है, क्योंकि वह "भारत के नागरिक नहीं हैं, बल्कि ब्रिटेन के नागरिक हैं।"
याचिका में कहा गया है कि राहुल गांधी से यह स्पष्ट करने के लिए कहा जाना चाहिए कि रायबरेली निर्वाचन क्षेत्र के सांसद के रूप में वह किस कानूनी प्राधिकारी के अधीन काम कर रहे थे।
राहुल गांधी के विदेशी नागरिक होने के अपने तर्क के समर्थन में याचिकाकर्ता ने यू.के. की फर्म मेसर्स बैकडॉप्स लिमिटेड द्वारा दाखिल दस्तावेजों का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि राहुल गांधी 2003 से 2009 के बीच निदेशक थे।
इस कंपनी द्वारा 2006 में दाखिल दस्तावेजों में राहुल गांधी की राष्ट्रीयता ब्रिटिश बताई गई है, याचिका में इस बात पर प्रकाश डाला गया है।
यह भी दलील दी गई कि राहुल गांधी सांसद के रूप में काम नहीं कर सकते, क्योंकि उन्हें सूरत की एक निचली अदालत ने मानहानि के एक मामले में 2023 में दोषी ठहराया था और दो साल जेल की सजा सुनाई थी।
याचिका में कहा गया है इसलिए, राहुल गांधी जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8 (3) [कुछ अपराधों के लिए दोषसिद्धि पर अयोग्यता] में निर्धारित प्रतिबंधों को देखते हुए सांसद का पद संभालने से अयोग्य हैं।
याचिकाकर्ता ने कहा कि भले ही सुप्रीम कोर्ट ने दोषसिद्धि पर रोक लगा दी है, लेकिन राहुल गांधी अभी भी सांसद के रूप में पद पर बने रहने के लिए अयोग्य हैं। इस संबंध में याचिकाकर्ता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों में राहुल गांधी को चुनाव लड़ने की स्पष्ट अनुमति नहीं दी है।
जब याचिका हाईकोर्ट के समक्ष सुनवाई के लिए आई, तो बेंच ने 2016 के निर्देश पर प्रकाश डाला, जिसके अनुसार याचिकाकर्ता के वकील अशोक पांडे की कोई भी याचिका तभी स्वीकार की जाएगी, जब उसके साथ 25,000 रुपये का डीडी हो।
पांडे ने कोर्ट को बताया कि वह 2016 से बिना किसी बाधा के मामलों पर बहस कर रहे हैं।
कोर्ट ने कहा कि हो सकता है कि रजिस्ट्री को आदेश की जानकारी न हो।
हालांकि, पांडे ने कहा कि रजिस्ट्री को इसकी जानकारी थी, लेकिन उन्होंने हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दायर करने पर कभी आपत्ति नहीं जताई।
इसके बाद कोर्ट ने रजिस्ट्री से रिपोर्ट मांगी।
मामले की अगली सुनवाई 1 जुलाई को होगी।
डिप्टी सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडे तथा अधिवक्ता आनंद द्विवेदी और विजय विक्रम सिंह प्रतिवादी की ओर से पेश हुए।
[आदेश पढ़ें]
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Why Allahabad High Court deferred hearing in plea against Rahul Gandhi election