
उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को चिंता व्यक्त की कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) भविष्य में ड्राइवरों की जगह ले सकती है और इसके परिणामस्वरूप कई लोग बेरोजगार हो सकते हैं।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की खरीद और उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार की नीतियों के उचित कार्यान्वयन की मांग करने वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही थी।
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति कांत ने चिंता व्यक्त की कि एआई ड्राइवरों के रोजगार को प्रभावित कर सकता है।
न्यायालय ने टिप्पणी की, "मेरी चिंता यह है कि एआई इन ड्राइवरों के रोजगार को खत्म न कर दे...भारत में ड्राइवर (नौकरी), यह रोजगार का एक बड़ा स्रोत है।"
न्यायमूर्ति कांत ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि अधिवक्ताओं को भी एआई-आधारित उपकरणों से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है।
"एआई अपने आप में तेजी से बढ़ती हुई तकनीक है। एक मॉड्यूल कुछ महीनों में अप्रचलित हो जाता है। अभी हमने एआई आधारित अधिवक्ताओं को देखा है....उन्होंने यूएसए में बहस की है। हम बार के बारे में चिंतित हैं।"
ईवी के लिए जनहित याचिका सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन द्वारा दायर की गई थी, जिसका प्रतिनिधित्व अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने किया था।
उन्होंने पर्यावरण संबंधी चिंताओं को दूर करने में ईवी के महत्व पर जोर दिया और बताया कि दुनिया के कुल 15 सबसे प्रदूषित शहरों में से 14 भारत में हैं।
उन्होंने कहा, "मैं बस यही चाहता हूं कि सरकार अपनी नीति लागू करे।"
हालांकि, कोर्ट ने कहा कि सिर्फ सरकार ही नहीं, बल्कि अन्य संस्थाओं को भी आगे आना होगा। भूषण ने जवाब दिया कि सरकार को बुनियादी ढांचा मुहैया कराना चाहिए। उन्होंने ऐसे मामलों को उजागर किया जहां चार्जिंग पॉइंट 400 किलोमीटर की दूरी के बाद ही उपलब्ध हैं।
सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल (एजी) आर. वेंकटरमणी ने ई.वी. के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए समय-समय पर केंद्र सरकार द्वारा लिए गए नीतिगत निर्णयों से न्यायालय को अवगत कराने के लिए समय मांगा।
इसके बाद न्यायालय ने मामले की सुनवाई 14 मई को सूचीबद्ध कर दी।
और अधिक पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें
Worried that AI may replace drivers, render many jobless: Supreme Court