क्या मुवक्किल के लंबे समय तक जेल में रहने पर स्थगन मांगना सही है? सुप्रीम कोर्ट ने वकील से पूछा

न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा ने पूछा, "आपके मुवक्किल इतने लंबे समय से जेल में हैं और आप स्थगन ले रहे हैं। क्या यह अच्छी बात है?"
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सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को एक वकील को फटकार लगाई, जिसने एक आपराधिक मामले में स्थगन की मांग की थी।

न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने वकील को याद दिलाया कि उनके मुवक्किल इतने लंबे समय से सलाखों के पीछे हैं।

न्यायमूर्ति नरसिम्हा ने पूछा, "क्या आप नहीं देख रहे हैं कि हम आपराधिक मामलों का फैसला कैसे कर रहे हैं? क्या यह आपके लिए बहस करने का अच्छा दिन नहीं है। आपके मुवक्किल इतने लंबे समय से सलाखों के पीछे हैं और आप स्थगन ले रहे हैं। क्या यह अच्छी बात है।"

Justices PS Narasimha and Manoj Misra
Justices PS Narasimha and Manoj Misra

वकील ने जोर देकर कहा कि इस मामले पर उनके वरिष्ठ द्वारा बहस की जानी चाहिए।

अंततः न्यायालय ने नरम रुख अपनाया और मामले की सुनवाई किसी अन्य तिथि पर करने का आदेश दिया।

भारत में आपराधिक मामलों में न्यायालयों द्वारा स्थगन एक विवादास्पद मुद्दा है, जिसके लिए न्यायपालिका को अक्सर आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है।

हालांकि, इनमें से कई स्थगन वकीलों के अनुरोध पर दिए जाते हैं, जिन्हें कभी-कभी उनके मुवक्किलों द्वारा ऐसा करने के निर्देश दिए जाते हैं।

हाल ही में, शीर्ष न्यायालय ने संकेत दिया था कि वह आपराधिक अपीलों की बढ़ती हुई लंबितता से निपटने के लिए उच्च न्यायालयों में तदर्थ न्यायाधीशों (अस्थायी न्यायाधीशों) की नियुक्ति के लिए शर्तों में ढील देने पर विचार कर रहा है।

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