सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एस रवींद्र भट सोमवार को भीमा कोरेगांव के आरोपी गौतम नवलखा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई से अलग हो गए, जिसमें उन्हें जेल में बंद करने के बजाय घर में नजरबंद रखने की मांग की गई थी। [गौतम नवलखा बनाम राष्ट्रीय जांच एजेंसी और अन्य]।
यह मामला भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की खंडपीठ के समक्ष तब आया जब CJI ने सूचित किया कि न्यायमूर्ति भट मामले की सुनवाई नहीं कर सकते।
CJI ने कहा, "जस्टिस भट सुनवाई नहीं कर सकते। इस मामले को जस्टिस भट की बेंच के सामने सूचीबद्ध नहीं करना है। प्रशासनिक पक्ष पर मेरे सामने लिस्ट करें।"
CJI ने यह भी कहा कि मामले को न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जा सकता है क्योंकि उन्होंने पहले याचिका पर सुनवाई की थी।
सीजेआई ललित ने कहा, "अगर मुझे याद है, तो यह मामला मेरे और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ के सामने सूचीबद्ध किया गया था। हम इस मामले को न्यायमूर्ति जोसेफ की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करेंगे।"
नवलखा ने बॉम्बे हाईकोर्ट के 26 अप्रैल के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है, जिसमें तलोजा जेल से स्थानांतरित करने और घर में नजरबंद रखने की उनकी याचिका खारिज कर दी गई है।
पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स के पूर्व सचिव नवलखा को अगस्त 2018 में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन शुरुआत में उन्हें नजरबंद कर दिया गया था।
बाद में उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अप्रैल 2020 में महाराष्ट्र के तलोजा केंद्रीय कारागार में स्थानांतरित कर दिया गया।
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Bhima Koregaon: Justice S Ravindra Bhat recuses from hearing plea by Gautam Navlakha