कलकत्ता उच्च न्यायालय ने स्कूल नौकरी घोटाले के आरोपियों पर नरम रुख अपनाने के खिलाफ सीबीआई, ईडी को चेतावनी दी

न्यायालय ने सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय से जापान और सिंगापुर जैसे देशों का अनुकरण करने को भी कहा है, जहां भ्रष्टाचार के मामलों में सजा की दर 80 प्रतिशत से अधिक है।
CBI, ED
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कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारियों को कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी, यदि उनमें से कोई भी गिरफ्तार किए गए और कुख्यात स्कूल जॉब्स फॉर कैश घोटाले में शामिल व्यक्तियों पर "नरम रुख अपनाते" पाया गया तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। [कुंतल घोष बनाम सीबीआई]।

न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति अजय कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने कहा कि वह अधिकारियों की आरोपियों के साथ मिलीभगत बर्दाश्त नहीं कर सकती, खासकर राज्य में 'सतर्क' न्यायपालिका द्वारा भर्ती प्रक्रिया में भ्रष्टाचार को उजागर करने के बाद। 

कोर्ट ने कहा, "हम बताएंगे कि ये कौन अधिकारी हैं जो इन लोगों पर नरम रुख अपना रहे हैं।"

पीठ ने इस तथ्य पर अप्रसन्नता जताई कि जांच एजेंसियों ने भ्रष्टाचार रोकथाम कानून की धारा 7ए (लोक सेवक को प्रभावित करने के लिए अनुचित लाभ उठाना) मामले में आरोपियों के खिलाफ लागू नहीं की थी। 

कोर्ट ने टिप्पणी की "हमने जांच एजेंसी की क्षमता देखी है। यह न्यायाधीश ही थे जिन्होंने धारा 7ए लगाने की कोशिश की थी। ऐसा लगता है कि यहां की जांच एजेंसी को इस धारा के बारे में पता नहीं था। और इसे प्रमुख भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसी माना जाता है।".

न्यायालय ने सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय से जापान और सिंगापुर जैसे देशों का अनुकरण करने को भी कहा है जहां भ्रष्टाचार के मामलों में दोषसिद्धि की दर 80 प्रतिशत से अधिक है।

पीठ ने यह भी कहा कि वह जांच एजेंसियों के शीर्ष अधिकारियों से इन मुद्दों पर गौर करने को कहेगा। 

अदालत तृणमूल कांग्रेस पार्टी के पूर्व नेता कुंतल घोष द्वारा दायर जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन पर घोटाले में मामला दर्ज किया गया है। 

मामले को जब सोमवार को सुनवाई के लिये बुलाया गया तो घोष के वकील ने पीठ से कहा कि उनके मुवक्किल के खिलाफ ईडी और सीबीआई ने अलग-अलग मामले दर्ज किये हैं और सीबीआई के मामले में उनके पास से कोई नकदी बरामद नहीं हुई है। 

हालांकि, अदालत ने कहा कि भले ही अलग-अलग मामले थे, सबूत उससे नकद वसूली दिखाते हैं, हालांकि ईडी के मामले में। अदालत ने कहा कि सीबीआई इस साक्ष्य का इस्तेमाल घोटाले में शामिल लोगों द्वारा 'व्यापक धोखाधड़ी' को साबित करने के लिए परिस्थितिजन्य साक्ष्य के तौर पर भी कर सकती है।

सुनवाई के दौरान पीठ ने यह भी जानना चाहा कि एजेंसियों द्वारा आरोप पत्र दाखिल कर दिए जाने के बावजूद मामले में किसी भी गिरफ्तार आरोपी के खिलाफ मुकदमा शुरू क्यों नहीं हुआ।

पीठ ने सीबीआई और ईडी से यह सुनिश्चित करने को कहा कि भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए दोषसिद्धि दर बढ़ाई जाए। 

अन्य आरोपी नीलाद्री घोष की जमानत याचिका के संबंध में पीठ ने कहा कि उन्होंने एक एजेंट के रूप में काम किया था और एक उम्मीदवार से दो लाख रुपये प्राप्त किए थे और उतनी ही राशि वापस भी की थी। 

हालांकि, उसने उसे मामले में सरकारी गवाह बनने का सुझाव दिया।

इस मामले में तीन हफ्ते बाद फिर सुनवाई होगी।  

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Calcutta High Court cautions CBI, ED against going soft on School Jobs scam accused

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