दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को टेरर फंडिंग मामले में दोषी ठहराया।
अदालत ने उन्हें गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत और भारतीय दंड संहिता के तहत साजिश और देशद्रोह के अपराधों के लिए दोषी पाया।
सजा की मात्रा पर सुनवाई 25 मई को होगी। राष्ट्रीय जांच एजेंसी को इसके लिए मलिक की वित्तीय स्थिति का आकलन करना होगा।
अदालत ने मलिक को सुनवाई की अगली तारीख तक अपनी वित्तीय संपत्ति के संबंध में एक हलफनामा प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया।
अदालत ने मार्च में आरोप तय किए थे, यह देखते हुए कि यह प्रथम दृष्टया स्थापित किया गया था कि मलिक और शब्बीर शाह, राशिद इंजीनियर, अल्ताफ फंटूश, मसरत और हुर्रियत/संयुक्त प्रतिरोध नेतृत्व (जेआरएल) सीधे आतंकी फंड के प्राप्तकर्ता थे।
अदालत ने तब यह भी नोट किया था कि मलिक ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन जुटाने के लिए दुनिया भर में एक विस्तृत तंत्र स्थापित किया था।
अदालत ने कहा था कि वह आपराधिक साजिश में शामिल था, जिसके बाद बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए, जिसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर हिंसा और आगजनी हुई।
आरोप के आदेश के बाद मलिक ने अपना गुनाह कबूल कर लिया था।
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[BREAKING] Delhi court convicts Kashmiri separatist leader Yasin Malik in terror funding case