दिल्ली की एक अदालत ने जामिया इलाके और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने के लिए दर्ज राजद्रोह और गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के मामले में शरजील इमाम को जमानत देने से शनिवार को इनकार कर दिया।
कड़कड़डूमा अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश समीर बाजपेयी ने यह आदेश सुनाया।
यह मामला नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान एएमयू और जामिया क्षेत्र में इमाम द्वारा दिए गए भाषणों से संबंधित है।
उन्हें इस मामले में 28 जनवरी, 2020 को गिरफ्तार किया गया था।
जुलाई 2022 में ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में उनकी पहली जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
यह इमाम का मामला था कि वह सात साल की अधिकतम सजा में से चार साल जेल में बिता चुका है और इसलिए, वैधानिक जमानत के लिए पात्र है।
उन्होंने कहा कि राजद्रोह के अपराध को भारत के उच्चतम न्यायालय ने स्थगित रखा है और उनके खिलाफ लगाए गए यूएपीए प्रावधानों में सात साल से अधिक की सजा नहीं है।
इस बीच, दिल्ली पुलिस ने दलील दी कि उसके खिलाफ लगाए गए अपराधों के लिए सजा पर समग्र रूप से विचार किया जाना चाहिए, समवर्ती रूप से नहीं।
अदालत ने पक्षों को सुनने के बाद आज आदेश सुनाया।
निचली अदालत का यह फैसला दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश के बाद आया है जिसमें उसने उसकी जमानत याचिका पर तेजी से फैसला करने का आदेश दिया था।
मामले में देशद्रोह और यूएपीए के आरोप तय करने के आदेश के खिलाफ इमाम की याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय आठ मार्च को सुनवाई करेगा।
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Delhi court rejects bail plea of Sharjeel Imam in sedition, UAPA case for anti-CAA speeches