दिल्ली हाईकोर्ट ने इंडियन कोस्ट गार्ड में रैंक के आधार पर रिटायरमेंट की उम्र को रद्द कर दिया

कोर्ट ने कहा कि रैंक के आधार पर रिटायरमेंट की उम्र में अंतर करने वाला नियम गैर-संवैधानिक है।
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दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को कोस्ट गार्ड (जनरल) रूल्स, 1986 के उन नियमों को रद्द कर दिया, जो रैंक के आधार पर अधिकारियों के लिए अलग-अलग रिटायरमेंट उम्र तय करते थे। [चेताली जे रत्नमन बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया और अन्य]

जस्टिस सी हरि शंकर और ओम प्रकाश शुक्ला की डिवीजन बेंच ने माना कि नियमों में दिया गया अंतर गैर-संवैधानिक था और इसका कोई सही कारण नहीं था।

कोर्ट ने कहा, "इसलिए, हम मानते हैं कि 1986 के नियमों के विवादित नियम 20(1) और 20(2) भारत के संविधान के आर्टिकल 14 और 16 की जांच का सामना नहीं कर सकते, क्योंकि वे कमांडेंट और उससे नीचे के रैंक के अधिकारियों और भर्ती हुए लोगों के लिए रिटायरमेंट की उम्र 57 साल तय करते हैं। इसलिए, उन्हें रद्द किया जाता है और अलग रखा जाता है। इसलिए, हम मानते हैं कि 60 साल की रिटायरमेंट की उम्र कोस्ट गार्ड के सभी रैंक के अधिकारियों पर लागू होगी।"

Justice C.Hari Shankar And Justice Om Prakash Shukla
Justice C.Hari Shankar And Justice Om Prakash Shukla

हाईकोर्ट ने कोस्ट गार्ड (जनरल) रूल्स, 1986 के रूल्स 20(1) और 20(2) को चुनौती देने वाली कई पिटीशन को मंज़ूरी दे दी।

कहा गया कि रूल्स के मुताबिक इंडियन कोस्ट गार्ड में, कमांडेंट और उससे नीचे के रैंक के ऑफिसर 57 साल की उम्र में रिटायर होंगे, जबकि कमांडेंट से ऊपर के रैंक के ऑफिसर 60 साल की उम्र में रिटायर होंगे।

पिटीशनर्स ने तर्क दिया कि यह कानून मनमाने ढंग से रिटायरमेंट की उम्र लागू करके संविधान के आर्टिकल 14 (बराबरी का अधिकार) और 16 (पब्लिक एम्प्लॉयमेंट के मामलों में मौके की बराबरी) का उल्लंघन करता है।

केंद्र सरकार ने कम उम्र के “सी-गोइंग प्रोफाइल”, मेडिकल फिटनेस की चिंताओं, कमांड और कंट्रोल के मुद्दों और करियर में ठहराव के खतरों का हवाला देकर कम रिटायरमेंट उम्र को सही ठहराया।

मामले पर विचार करने के बाद, हाईकोर्ट पिटीशनर्स से सहमत हुआ और रूल्स को गैर-संवैधानिक घोषित कर दिया, यह देखते हुए कि ऑफशोर ड्यूटी सिर्फ कमांडेंट से नीचे के ऑफिसर ही नहीं करते हैं।

कोर्ट ने कहा, “हम कमांडेंट रैंक से ऊपर के अधिकारियों को 60 साल और कोस्ट गार्ड के बाकी सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को 57 साल की उम्र में रिटायर करने को सही ठहराने के लिए दिए गए कारणों से सच में हैरान हैं। ये कारण बिल्कुल भी भरोसेमंद नहीं हैं, असलियत तो दूर की बात है, हमारे सामने रखे गए अनुभव से मिले डेटा के एक भी हिस्से से इनका समर्थन नहीं होता है। अस्पष्ट बातें और बढ़ा-चढ़ाकर कही गई बातें इस्तेमाल की गई हैं, जैसे कि किसी भी कीमत पर रिटायरमेंट की अलग-अलग उम्र रखने के फैसले को सही ठहराना हो।”

याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील हिमांशु गौतम, किशन गौतम, अनुराधा पांडे और लोकेश शर्मा पेश हुए।

सीनियर पैनल वकील राज कुमार यादव के साथ वकील वैभव भारद्वाज, तृप्ति सिन्हा, जसविंदर सिंह, वीरेंद्र प्रताप सिंह चरक, शुभ्रा पाराशर और गोकुल अत्रे प्रतिवादियों की ओर से पेश हुए।

[फैसला पढ़ें]

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