केरल सरकार ने राज्य की सीमा के भीतर जांच के लिये केन्द्रीय जांच ब्यूरो को दी गयी सामान्य सहमति वापस ले ली है।
इस संबंध में 4 नवंबर को अधिसूचना जारी की गयी है जिसमे कहा गया है,
‘‘दिल्ली स्पेशल पुलिस इटैबलिशमेन्ट कानून, 1946 (1946 का केन्द्रीय कानून 25) की धारा 6 में प्रदत्त अधिकार का इस्तेमाल करते हुये केरल सरकार पहले की उन सारी अधिसूचनाओं को वापस लेती है जिनमें दिल्ली स्पेशल पुलिस इटैबलिशमेन्ट के सदस्यों को इस कानून के तहत अधिकारों और अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल करके इस कानून की धारा 3 के अंतर्गत राज्य में अपराधों की जांच के लिये सामान्य सहमति प्रदान की गयी थी।’’
इसके साथ ही केरल भी केन्द्रीय एजेन्सी को संबंधित राज्य में अपने अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल करने से प्रतिबंधित करने वाले गैर भाजपा शासित राज्यों की सूची में शामिल हो गया है।
अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि सहमति वापस लिया जाना सिर्फ भावी मामलों के संबंध में है। इस बारे में इसमें कहा गया है,
‘‘हालांकि सहमति वापसी इस कानून की धारा 6 के अंतर्गत दी गयी सहमति के आधार पर विभिन्न मामलों में चल रही जांच को प्रभावित नहीं करेगा।’’
सीबीआई का गठन दिल्ली स्पेशल पुलिस इटैबलिशमेन्ट कानून के तहत हुआ है।इस कानून की धारा 6 के अनुसार दिल्ली स्पेशल पुलिस इटैबलिशमेन्ट के सदस्य संबंधित राज्य की सहमति के बगैर उस राज्य के किसी भी क्षेत्र में इस कानून के तहत अपने अधिकार और अधिकार क्षेत्र इस्तेमाल नहीं कर सकते।
इस कानून की धारा 6 के तहत सीबीआई को इस कानून की धारा 3 में दर्ज अपराधों की भारत सरकार द्वारा इस कानून की धारा के अंतर्गत अधिसूचित क्षेत्रों में अपने अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल करने के लिये संबंधित राज्य सरकार से सहमति लेना जरूरी है।
केरल सरकार ने अब सहमति की इस अनिवार्यता को वापस ले लिया है। कुल मिलाकर इसका असर यह होगा कि अब किसी मामले विशेष के बारे में उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय से सीबीआई जांच के आदेश के बगैर यह केन्द्रीय एजेन्सी किसी मामले की राज्य में जांच नहीं कर सकती है।
केरल सरकार के इस निर्णय से पहले महाराष्ट्र सरकार ने भी सीबीआई को मामलों की जाच के लिये दी गयी सामान्य सहमति उस समय वापस ले ली थी जब टीआरपी मामले में दर्ज एक प्राथमिकी की मुंबई पुलिस की जांच के दौरान ही उत्तर प्रदेश सरकार ने टीआरपी कांड की जांच सीबीआई को सौंप दी थी।
मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के हवाले से यह कहा जा रहा है कि संवैधानिक तरीके से निर्वाचित सरकार को अस्थिर और बदनाम करने के लिये गोल्ड स्मगलिंग मामले की जांच में सीबीआई अपनी सीमा लांघ रही है।
इस समय सीबीआई लाइफ मिशन मामले की भी जांच कर रही है, जो बेघर लोगो को आश्रय और आवास, विशेषकर जिनके आवास 2018 की बाढ़ मे तबाह हो गये थे, प्रदान करने संबंधी केरल सरकार की पहल से संबंधित है। इस मामले में दर्ज प्राथमिकी में सीबीआई ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार ने एफसीआरए के मानकों का उल्लंघन करके धन प्राप्त किया है।
केरल उच्च न्यायालय ने इस जांच को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान अक्टूबर में इस मामले की सीबीआई जांच पर रोक लगा दी थी।
इससे पहले, राजस्थान सरकार ने भी इस साल जुलाई में यह सामान्य सहमति वापस ले ली थी पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ सरकार ने 2018 और 2019 में अपनी सहमति वापस ले ली थी।
तेलुगु देसम पार्टी के शासन काल आंध्र प्रदेश सरकार ने 2018 में सीबीआई के लिये सहमति वापस ले ली थी लेकिन विधान सभा चुनाव बाद सत्ता में आई वाईएसआर कांग्रेस की वाई एस जगनमोहन रेड्डी सरकार ने पिछले साल यह सहमति बहाल कर दी थी।
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Kerala revokes general consent for CBI investigations in the State [Read Notification]