सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को वकीलों को फर्जी जनहित याचिका (पीआईएल) याचिका दायर करने के लिए अपने विशेषाधिकार का दुरुपयोग करने से आगाह किया।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, विक्रम नाथ और बीवी नागरत्ना की बेंच ने कहा कि वकीलों को ऐसी जनहित याचिका दायर करने से रोकने के लिए अदालतों को कदम उठाने पड़ सकते हैं।
अदालत उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें कोविड से मरने वाले 60 साल से कम उम्र के वकीलों के परिजनों को 50 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की मांग की गई थी।
अदालत ने टिप्पणी की, "यह एक प्रचार हित याचिका है और सिर्फ इसलिए कि आप काले कोट में हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि आपका जीवन दूसरों की तुलना में अधिक कीमती है। समय आ गया है कि हमें वकीलों को इन फर्जी जनहित याचिकाओं को दर्ज करने से रोकना होगा।"
कोर्ट ने याचिकाकर्ता अधिवक्ता प्रदीप कुमार यादव को फटकार लगाते हुए कहा कि याचिका में आधार अप्रासंगिक हैं।
कोर्ट ने आगे कहा, "अगर हम आपका आधार देखें, तो एक भी आधार प्रासंगिक नहीं है। आप अगर कट पेस्ट कर देंगे तो ऐसा नहीं होता कि न्यायधीश पढ़ेंगे नहीं।"
कोर्ट ने दोहराया कि COVID के कारण कई लोगों की मृत्यु हो चुकी है और वकीलों के लिए कोई अपवाद नहीं बनाया जा सकता है।
अदालत ने याचिका को खारिज करते हुए कहा, "ऐसा नहीं हो सकता है कि वकील इस तरह की जनहित याचिकाएं दायर करें और न्यायाधीशों से मुआवजे की मांग करें और वे अनुमति दें। आप जानते हैं कि बहुत सारे लोग मारे गए हैं। आप अपवाद नहीं हो सकते।"
और अधिक पढ़ने के लिए नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक करें