सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 2021 के लखीमपुर खीरी मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें कृषि कानूनों का विरोध कर रहे 8 लोगों को एक चार पहिया वाहन ने कुचल दिया था। [आशीष मिश्रा @ मोनू बनाम उत्तर प्रदेश राज्य]।
आज सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेके माहेश्वरी की खंडपीठ ने कहा कि मामले की सुनवाई पूरी होने में 5 साल लग सकते हैं और अभियुक्तों को अनिश्चित काल के लिए कैद नहीं किया जा सकता है.
पीठ ने कहा, "यह पार्टियों के अधिकारों को संतुलित करने के बारे में है। अनिश्चितकालीन कारावास नहीं होना चाहिए।"
शिकायतकर्ताओं में से एक की ओर से पेश वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने यह कहते हुए जवाब दिया कि 2020 के दिल्ली दंगों के सिलसिले में जेल में बंद लोगों सहित सभी आरोपियों पर समान रूप से लागू होना चाहिए।
दवे ने कहा, "एक सुसंगत कानून होने दें। दिल्ली दंगों के आरोपी अब तक जेल में सड़ रहे हैं।"
मिश्रा की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने बहाने के आधार पर जमानत के लिए जोरदार याचिका दायर की। उन्होंने कहा कि मिश्रा कार में या घटना स्थल पर मौजूद नहीं थे।
यूपी सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) गरिमा प्रसाद ने अपराध की जघन्य प्रकृति का हवाला देते हुए जमानत देने का जोरदार विरोध किया।
कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है।
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