इन नेताओं ने अपने खिलाफ दर्ज मामलों को ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ का नतीजा बताया और पश्चिम बंगाल पुलिस के सीधे तृणमूल कांग्रेस के नियंत्रण में होने का लगाया आरोप
भारतीय जनता पार्टी की बंगाल इकाई के पांच नेताओं-अर्जुन सिंह, कैलाश वियवर्गीय, पवन सिंह, सौरव सिंह, मुकुल रॉय और कबीर शंकर बोस ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर का पश्चिम बंगाल पुलिस पर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के इशारे पर उन्हें निशाना बनाये जाने के आरोप लगाये हैं। इन नेताओं ने पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज सारे मामले किसी अन्य स्वतंत्र जांच एजेन्सी को सौंपने का अनुरोध किया है।
मुख्य याचिकाकर्ता अर्जुन सिंह ने अधिवक्ता अवंतिका मनोहर के माध्यम से दायर याचिका में कहा है कि तृणमूल कांग्रेस से इस्तीफा दिये जाने के बाद से ही उनके खिलाफ पश्चिम बंगाल पुलिस ने बगैर किसी जांच के 64 मामले दर्ज किये हैं।
याचिका में ‘टीएमसी के सदस्यों’ द्वारा सिंह पर देसी बम के हमले की घटना का भी जिक्र किया गया है जिसमें उनका बेटा जख्मी हो गया था। भाजपा नेता ने दावा किया कि स्थानीय पुलिस ने उनकी शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज करने से इंकार कर दिया और उन्हें इसके लिये मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में जाना पड़ा।
याचिका में कहा गया है कि पश्चिम बंगला पुलिस द्वारा सिंह के विरूद्ध जानबूझ कर की जा रही कार्यवाही ने कानून की प्रक्रिया के पालन के बगैर ही उन्हें उनकी आजादी से वंचित कर दिया है।
सिंह ने आरोप लगाया है कि पश्चिम बंगाल पुलिस राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के इशारे पर काम कर रही है और उसके ‘निजी राजनीतिक हितों’ को साध रही है।
भाजपा के एक अन्य नेता कबीर शंकर बोस ने अधिवक्ता समीर कुमार के माध्यम से दायर याचिका में कहा है कि उन्हें संविधान के अनुच्छेद 21 में प्रदत्त मौलिक अधिकार का उल्लंघन करके चार घंटे तक जानबूझ कर कोविड मरीजों के साथ कोविड पृथकवास वार्ड में रखा गया।
बोस ने खुद को पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा दमन, राजनीतिक प्रतिशोध की कार्रवाई और बुरी तरह यातनाओं का शिकार बताया है।
तृणमूल कांग्रेस के नेता कल्याण बनर्जी की पुत्री से शादी करने वाले बोस ने कहा है कि जैसे ही उन्होंने तलाक का मामला दायर किया तो उनके खिलाफ बनर्जी के इशारे पर अनेक मामले दर्ज कर दिये गये हैं। उन्होंने दावा किया कि पुलिस प्रशासन पर बनर्जी का बहुत प्रभाव है।
बोस ने यह भी कहा कि राज्य विधान सभा के चुनावों से पहले ही राज्य सरकार अपने प्रतिद्वन्दियों की आवाज चुप कराने के इरादे से पुलिस का इस्तेमाल करके भाजपा के सदस्यों के खिलाफ फर्जी मामले दर्ज करा रही है। याचिका में आरेाप लगाया गया है कि राज्य पुलिस सीधे सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के नियंत्रण में है।
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