बंबई उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को टिप्पणी की कि तारीख पे तारीख हकीकत है और बार बार मुकदमों की सुनवाई स्थगित होने की आलोचनाओं पर कठोर रुख नहीं अपनाया जायेगा। न्यायालय ने यह टिप्पणी सुनैना होले के उस ट्विट के संदर्भ में की जिसमे कहा गया था कि किस तरह उसके खिलाफ दर्ज प्राथमिकियां निरस्त कराने के मामले में बार बार सुनवाई स्थगित हो रही है।
न्यायमूर्ति एसएस शिन्दे और न्यायमूर्ति एमएस कार्णिक की पीठ ने इस ट्विट के प्रति उदार रवैया अपनाया और होले द्वारा चुने गये शब्दों पर हंसते हुये कहा कि निश्चित ही वे उसके मामले की सुनवाई कर रहे हैं।
न्यायालय ने कहा कि उसे इस बयान पर कोई आपत्ति नहीं है। न्यायमूर्ति शिन्दे तो यहां तक कहा कि उसने जो ट्विट किया है वह हकीकत है और किसी भी वादकारी के लिये उसका मुकदमा सबसे महत्वपूर्ण है।
न्यायमूर्ति शिन्दे ने टिप्पणी की, ‘‘ उन्होंने जो कहा वह हकीकत है। हम समझते हैं कि एक वादकारी के लिये उसका मुकदमा सबसे महत्वपूर्ण होता है। दायर होने वाले हजारों मुकदमों में प्रत्येक वादकारी के लिये उसका मुकदमा सबसे महत्वपूर्ण होता है।’’
उन्होंने हल्के फुल्के अंदाज में कहा कि, "इस नाम से तो टेलीविजन कार्यक्रम भी है।’’
न्यायालय महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे सहित सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कथित आपत्तिजनक ट्विट को लेकर होले के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने के लिये दायर उनकी याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इसी दौरान सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज मोहिते ने सुनवाई ‘स्थगित’ होने के बारे मे होले के ट्विट की ओर न्यायालय का ध्यान आकर्षित किया।
होले के अधिवक्ता डा अभिनव चंद्रचूड़ ने तुरंत ही स्थिति को संभालते हुये कहा कि वह तो सिर्फ बालीवुड फिल्म के चर्चित डायलाग का जिक्र कर रहीं थीं।
उन्होंने साथ ही यह स्पष्टीकरण भी दिया, ‘‘वह इस तरह के कृत्य का समर्थन नहीं करते, विशेषकर जब न्यायालय महामारी के दौरान रोजाना शाम 4.30 से 5.30 तक मामले की सुनवाई कर रहा है।’’
हालांकि, न्यायालय ने होले के ट्विट पर कोई आपत्ति नहीं की और कार्यवाही आगे बढ़ाते हुये डा चंद्रचूड़ से कहा कि लंबित याचिका में मामले का निबटारा होने तक इसके बारे में ट्विट करने से गुरेज करने के लिये होले से निर्देश प्राप्त कर लें।
न्यायमूर्ति शिन्दे ने ‘तारीख पे तारीख’ की वजह भी बताईं। उन्होंने कहा कि न्यायालय में रोजाना कई मुकदमे दायर होते है और मुकदमों की सुनवाई भी होती है लेकिन इन मामलों की सुनवाई से संबंधित बुनियादी सुविधाओं के बारे में कभी ध्यान नहीं दिया जाता।
मसलन, उन्होंने कहा कि जमानत और पेरोल आदि के मामलों के अलावा दिल्ली, मद्रास, मुंबई और कोलकाता की अदालतों में चेक बाउन्स होने से संबंधित कानून के तहत बड़ी संख्या में मुकदमे दायर होते हैं।
न्यायमूर्ति शिन्दे और न्यायमूर्ति कार्णिक की पीठ ने ही 15 दिसंबर को कहा था कि न्यायपालिका को अवमानना के मामलों की सुनवाई पर कीमती समय नष्ट नहीं करना चाहिए। इस समय का उपयोग दूसरे महत्वपूर्ण कानूनी मुद्दों की सुनवाई के लिये हो सकता है।
न्यायमूर्ति शिन्दे ने कहा था कि न्यायालय की अवमानना के अधिकार का इस्तेमाल अंतिम उपाय के रूप में होना चाहिए और अदालतों या न्यायाधीशों की आलोचना करने वाले आम आदमी के खिलाफ नहीं किया जाना चाहिए।
ठाकरे के बारे में ट्विट के अलावा होले ने उनके ट्विट के आधार पर उसके खिलाफ विभिन्न समुदायों में नफरत पैदा करने के आरोप में दर्ज प्राथमिकी को भी चुनौती दे रखी है।
डा चंद्रचूड़ ने अपनी बहस पूरी कर ली है और अब उम्मीद है कि राज्य सरकार इस मामले में सोमवार को बहस शुरू करेगी।
सरकार ने फिलहाल होले के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का न्यायालय को आश्वासन दिया है।
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'Tareekh pe tareekh' is a fact: Bombay High Court on Tweet by Sunaina Holey