उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने मंगलवार को कहा कि जाति व्यवस्था अभी भी हमारे समाज में व्याप्त है और हमें उस वास्तविकता का सामना करना चाहिए और जाति के आधार पर भेदभाव करने वालों को न्याय दिलाने का प्रयास करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जमीनी हकीकत जानने के लिए ऐसे भेदभाव का सामना करने वाले लोगों से बातचीत जरूरी है।
उन्होंने कहा, "हमें उस भेदभाव का सामना करना होगा जो अभी भी हमारे समाज में व्याप्त है और जाति के आधार पर भेदभाव करने वालों को न्याय दिलाने के लिए है। मुझे लगता है कि यह किसी भी चीज़ से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।"
जस्टिस चंद्रचूड़ ऑफिस ऑफ डायवर्सिटी एंड इनक्लूजन ऑफ इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) दिल्ली में 'रियलाइजिंग डायवर्सिटी-मेकिंग डिफरेंस मैटर इन हायर एजुकेशन' विषय पर उद्घाटन भाषण दे रहे थे।
न्यायाधीश विशेष रूप से दर्शकों के एक प्रश्न का उत्तर दे रहे थे कि समाज में प्रचलित जातिगत भेदभाव को कैसे समाप्त किया जाए।
इस पर न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने उत्तर दिया कि उनका इस प्रश्न के प्रति अनादर दिखाने का कोई इरादा नहीं है, लेकिन जाति को समाप्त करने की पूरी थीम को अक्सर एक ऐसा विषय माना जाता है जिसे उच्च जाति प्रचारित करती है।
उन्होंने कहा कि जाति की वास्तविकता जानने के लिए हमें उन लोगों से बात करनी चाहिए जो जाति के आधार पर भेदभाव, कलंक और हमले के शिकार हुए हैं।
न्यायाधीश ने कहा, "जाति उनकी पहचान को परिभाषित करती है और उनके जीवन के हर दिन उन्हें जाति के आधार पर भेदभाव करने वालों के अपराधियों द्वारा उनकी जातियों की याद दिलाई जाती है।"
उन्होंने कहा कि इसका उत्तर जातिविहीन समाज बनाना नहीं है बल्कि सदियों से भेदभाव के शिकार लोगों को सशक्त बनाना है।
उन्होंने कहा कि इसका उत्तर हमें जाति के आधार पर भेदभाव की सीमा के बारे में जागरूक होने में होना चाहिए जो आज भी हमारे समाज में प्रचलित है।
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We must accept that caste system still pervades our society: Justice DY Chandrachud