केरल उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को अपहरण और हमले के मामले में मुकदमे को स्थानांतरित करने से इनकार कर दिया, जिसमें मलयालम अभिनेता दिलीप एक अभियुक्त हैं (पीड़ित बनाम केरल राज्य; केरल राज्य बनाम सुनील एन.एस. @ पल्सर सुनी और अन्य)
न्यायमूर्ति वीजी अरुण की खंडपीठ ने अभियोजन पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमे वर्तमान ट्रायल कोर्ट के जज पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए मामले को स्थानांतरित करने की मांग की। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, एर्नाकुलम के समक्ष मामले की ट्रायल जारी है।
यह अभियोजन पक्ष और पीड़ित के मामले में था कि वर्तमान न्यायाधीश के समक्ष मुकदमे को जारी रखने से न्याय का अंत होगा।
पीड़ित और अभियोजन पक्ष ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के समक्ष मुकदमे की ट्रायल को स्थगित करने और उच्च न्यायालय का रुख करने की लिबर्टी के संबंध मे याचिका दायर की थी लेकिन इसे 23 अक्टूबर को खारिज कर दिया गया था। इसके चलते हाईकोर्ट के समक्ष मौजूदा दलील दी गई।
दिलीप और उसके साथियों पर मलयालम फिल्म उद्योग में एक महिला अभिनेत्री से बदला लेने, उसका यौन उत्पीड़न करने और फोटो लेने की साजिश रचने की कोशिश की गयी।
मामले में आरोपी के रूप में छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है। यह आरोप लगाया गया था कि अपनी पूर्व पत्नी से दिलीप के अलगाव में पीड़िता की अहम भूमिका थी।
16 अक्टूबर को विशेष लोक अभियोजक ए सुरेश के नेतृत्व वाले मामले में अभियोजन पक्ष ने सुनवाई के दौरान विशेष लोक अभियोजक के खिलाफ अतिरिक्त सत्र न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा अपमानजनक टिप्पणी पर अपना विरोध जताया था।
पीड़िता के लिए उच्च न्यायालय में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एस. श्रीकुमार ने कहा कि लगभग 20 वकील अदालत में एक समय पर उपस्थित थे, जबकि इस तरह के प्रवेश पूर्ण रूप से प्रतिबंधित थे।
“इसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया गया” वरिष्ठ वकील ने जोर दिया।
वकील ने प्रस्तुत किया कि, "यह एक असामान्य मामला है जहां मुकदमे की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष भी पक्षपात का आरोप लगाता है”
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