केरल उच्च न्यायालय ने प्रदेश के मुख्यमंत्री के अतिरिक्त निजी सचिव सीएम रवीन्द्रन की वह याचिका आज खारिज कर दी जिसमे उन्होंने सोने की तस्करी के मामले की जांच के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा बार बार बुलाये जाने को चुनौती दी थी।
रवीन्द्रन ने यह भी अनुरोध किया था कि प्रवर्तन निदेशालय द्वारा बुलाये जाने पर समयबद्ध तरीके से पूछताछ की जानी चाहिए।
न्यायमूर्ति वीजी अरूण की एकल पीठ ने याचिका खारिज करने संबंधी आदेश आज सुनाया। इस याचिका पर न्यायालय ने बुधवार को फैसला सुरक्षित किया था।
इस मामले में न्यायालय ने रवीन्द्रन की ओर से अधिवक्ता आर अनिल और प्रवर्तन निदेशालय की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल एसवी राजू पेश हुये थे।
अधिवक्ता आर अनिल ने दलील दी थी कि प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों को रवीन्द्रन के कोविड-19 से संक्रमित होने की जानकारी दिये जाने के बावजूद उन्हें बार बार सम्मन भेजे जा रहे हैं और वह कोविड-19 की बीमारी के बाद प्रभावों से जूझ रहे हैं। उन्होंने दलील दी कि प्रवर्तन निदेशालय एक गवाह को धन शोधन रोकथाम कानून के तहत सम्मन जारी करने के अधिकार का न्यायोचित तरीके से इस्तेमाल नहीं कर रहा है।
न्यायालय में यह भी कहा गया कि उन्हें पूछताछ का विस्तार होने की आशंका है जो हिरासत में पूछताछ के समान ही होगा।
प्रवर्तन निदेशालय ने इस याचिका की विचारणीयता पर सवाल उठाया। निदेशालय ने शीर्ष अदालत और उच्च न्यायालय के अनेक फैसलों को उद्धृत किया। अतिरिक्त सालिसीटर जनरल राजू ने दलील दी कि यह याचिका समय से पहले दायर की गयी है और वह भी ऐसी स्थिति में जब याचिकाकर्ता के खिलाफ अभी तक शिकायत दर्ज नहीं हुयी है।
एएसजी राजू ने यह भी कहा कि पूछताछ के लिये कोई तर्कसंगत उचित समय निर्धारित करना संभव नहीं है क्योंकि यह विषय से संबंधित सवालों के जवाब देने में लगने वाले समय पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि समय इस परनिर्भर करता है कि क्या सवाल के जवाब दिये गये या उनसे बचने का प्रयास था। इस काम में समय की सीमा नहीं हो सकती।
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