मुंबई कोर्ट ने शारजील इमाम के समर्थन में कथित नारेबाजी करने वाले टीआईएसएस छात्र को अग्रिम जमानत दी
मुंबई की एक सत्र अदालत ने पिछले हफ्ते टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) के एक छात्र को अग्रिम जमानत दी थी, जिस पर कार्यकर्ता शारजील इमाम के समर्थन में मुंबई के आजाद मैदान में नारे लगाने का आरोप लगाया गया था। (अंबाड़ी एम बनाम महाराष्ट्र राज्य)।
आवेदक ने भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए (देशद्रोह), 153बी (राष्ट्रीय एकता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले दावे) और 505 (सार्वजनिक शरारत) के तहत मुंबई पुलिस द्वारा दर्ज की गई पहली सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) के संबंध में अग्रिम जमानत मांगी।
अभियोजन पक्ष का यह मामला था कि वर्तमान आवेदक और इमाम के खिलाफ जांच चल रही थी।
जांच यह पता लगाने से संबंधित थी कि कैसे आरोपियों ने "राष्ट्र की एकता को प्रभावित करने" की योजना बनाई थी।
अभियोजन पक्ष के वकील ने यह भी बताया कि आवेदक को पहले गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण दिया गया था और यह जारी था और अब उसकी हिरासत आवश्यक थी।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एमजी देशपांडे ने आरोपी की याचिका को यह कहते हुए स्वीकार कर लिया कि उसके पास "यहां तक कि यह मानने के लिए कोई सबूत नहीं था कि वर्तमान आवेदक उक्त जनसमूह का हिस्सा था" और देशद्रोह का आरोप लगाते हुए "राष्ट्र विरोधी नारे" दिए।
अदालत ने यह भी देखा कि चूंकि एक साल पहले अंतरिम सुरक्षा दी गई थी, इसलिए पुलिस ने अपराध में आवेदक आरोपी की भूमिका का पता लगाने के लिए जांच शुरू करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया था।
आवेदक की ओर से पेश अधिवक्ता विजय हिरेमठ ने कहा कि मामले के मुख्य आरोपी को बॉम्बे हाई कोर्ट ने गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की थी।
याचिकाकर्ता आरोपी को अग्रिम जमानत देते हुए कोर्ट ने कहा कि आजाद मैदान में नारेबाजी की वायरल क्लिप कोर्ट के सामने भी नहीं रखी गई।
आवेदक को जब भी बुलाया जाए पुलिस स्टेशन में उपस्थित होना चाहिए और देश से बाहर नहीं जाना चाहिए।
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