मुंबई पुलिस ने कथित फर्जी टीआरपी घोटाले से संबंधित मामले में दर्ज प्राथमिकी संख्या 843/2020 में पहला आरोप पत्र दायर कर दिया है। पुलिस की अपराध शाख द्वारा पर्दाफाश किये गये इस कथित घोटाले में मुंबई में एस्पलैनेड के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में यह आरोप पत्र दायर किया गया।
यह आरोप पत्र भारतीय दंड संहिता की धारा 406, 409 ( विश्वासघात) और 420 (धोखाधड़ी और संपत्ति सौंपने में बेईमानी) 465 468 (जालसाजी) 201, 204 (साक्ष्य नष्ट करना), 212 (अपराधी को पनाह देना) और धारा 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत अपराध करने के संबंध में है।
अपराध शाखा ने टीआरपी घोटाले की जांच उस समय शुरू की जब उसे हंसा समूह के कुछ कर्मचारियों के माध्यम से पता चला कि खास टीवी चैनलों को देखने के लिये लोगों को पैसा देकर ‘सैंपलिंग मीटरिंग सेवाओं’ के साथ हेरा-फेरी की जा रही है।
जिन टेलीविजन दर्शकों के घरों पर बैरोमीटर लगे थे उन्हें पैसा देकर टीआरपी में वृद्धि का कथित लक्ष्य हासिल किया गया था।
यह आरोप है कि टेलीविजन दर्शक कुछ विशेष चैनल लंबी अवधि तक देखते थे ताकि यह दिखाया जा सके कि दर्शकों की संख्या में वृद्धि हुयी है।
आरोप पत्र के अनुसार वीवी भंडारी (आरोपी संख्या-1) वीआर त्रिपाठी (आरोपी संख्या 5), यूएम मिश्रा (आरोपी संख्या 6), आरडी वर्मा (आरोपी संख्या 7) और डीके पट्टनशेट्टी (आरोपी संख्या 8), सभी हंसा समूह के पूर्व कर्मचारी, लोगों के घरों में बैरोमीटर लगाने और उनकी देखरेख करने के प्रभारी थे। उन्होंने नियोक्ता कंपनी के साथ जानकारी नहीं देने के बारे में एक करार पर हस्ताक्षर भी किये थे।
आरोप पत्र में आरोप है कि गैरकानूनी तरीके से धन लेकर टीआरपी में फर्जी बढ़ोत्तरी दिखाने के लिये भंडारी और बीएन मिस्त्री (आरोपी संख्या 2) ने टीवी चैनलों के साथ मिलकर साजिश रची थी।
हंसा रिसर्च के पूर्व कर्मचारियों के साथ ही मुंबई पुलिस ने टीआरपी घोटाले में निम्नलिखित व्यक्तियों को आरोपी बनाया है:
एसएस पट्टनशेट्टी, सह-प्रवर्तक फख्त मराठी (आरोपी संख्या 3)
एनएन शर्मा, बाक्स सिनेमा (आरोपी संख्या 4)
एच के पाटिल (आरोपी संख्या 9)
एबी काल्वाडे, मीडिया एडवर्टाइजिंगएंड डिस्ट्रीब्यूशन के मालिक (आरोपी संख्या 10)
एए चौधरी, क्रिस्टल ब्रॉडकास्ट प्रा लि के मालिक (आरोपी संख्या 11)
घनश्याम सिंह, वाइस प्रेजीडेन्ट, (वितरण) एआरजी आउललायर प्रा लि (आरोपी संख्या 12)
महामूवी के मालिक (वांछित आरोपी)
आरोप पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि हालांकि ‘रिपब्लिक चैनल’ फ्री टु एयर हैं और इसके दर्शकों को इन चैनलों को देखने के लिये कुछ भी भुगतान नहीं करना पड़ता है, इन चैनलों ने विज्ञापनों से ज्यादा आमदनी प्राप्त करने के लिये अपने दर्शकों की संख्या के साथ छेड़छाड़ की।
अपराध शाखा ने कहा है कि उसे इस बात के सबूत मिल हैं कि टीआरपी घोटाले से फख्त मराठी, बॉक्स सिनेमा, रिपब्लिक टीवी (अंग्रेजी और हिन्दी), महामूवी और वोवटीवी को लाभ पहुंचा है।
अपराध शाखा ने अदालत से आरोप पत्र में नामजद आरोपियों और गवाहों को सम्मन जारी करने की अनुमति चाही है। आरोप पत्र में करीब 140 व्यक्तियों को बतौर गवाह पेश किया गया है।
हालांकि, मुंबई पुलिस ने स्पष्ट किया है कि इस मामले में अभी जांच जारी है और निकट भविष्य में इसमें पूरक आरोप पत्र दाखिल किया जा सकता है।
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