BJP आईटी सेल के सह-संयोजक द्वारा स्पष्टीकरण के बाद ट्विटर द्वारा अपने खिलाफ दर्ज FIRs रद्द करने की मांग: SC ने जारी किए नोटिस

भारतीय कंपनी ने दावा किया है कि ‘खालिस्तान’ को लेकर गुरपतवंत सिंह पन्नुम के एक ट्विट को बढ़ावा देने के आरोप में कई प्राथमिकी दर्ज की गयी हैं
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उच्चतम न्यायालय ने ट्विटर कम्युनिकेशंस इंडिया प्रा लि की याचिका पर आज नोटिस जारी किया। इस याचिका में "खालिस्तान "पर गुरपतवंत सिंह के एक ट्विट को कथित रूप से बढ़ावा देने पर दर्ज प्राथमिकियों को निरस्त करने का अनुरोध किया गया है।

भारतीय कंपनी ने दावा किया है कि गुरपतवंत सिंह पन्नुम द्वारा किये गये ट्विट पोल ‘जारी ‘क्या भारत को खालिस्तान 2020 मान्यता देनी चाहिए’ के बाद उसके खिलाफ कई प्राथमिकी दर्ज की गयी हैं।

याचिका में कहा गया है कि भाजपा के आईटी प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय सह-संयोजक विनीत गोयनका और अन्य ने शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि ट्विटर ने पैसे लेकर पन्नुम के ट्विट को बढ़ावा दिया है जबकि ट्विटर ने ट्विट ब्लाक करके उसका अकाउन्ट निलंबित कर दिया है।

ट्विटर इंडिया का कहना है कि पिछले कुछ महीने से गोयनका और उनके समर्थक वेबिनार आयोजित करके ट्विटर को ‘आतंकवादी संगठन’ घोषित करने, उसके अधिकारियों पर राजद्रोह का मामला दर्ज करने और ट्विटर तथा उसके कर्मचारियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर मामले दर्ज कराने के लिये कह रहा है।

याचिका के अनुसार गोयनका और उनके समर्थकों के आरोप निराधार, बेबुनियाद और दुर्भावनापूर्ण हैं। याचिका में कहा गय है कि ट्विटर की विज्ञापन नीति तय करने में उसकी कोई भूमिका नहीं है और इस प्लेटफार्म पर किसी सामग्री को प्रसारित करने के लिये वह धन वसूलता है।

ट्विटर कम्युनिकेशंस ने यह भी कहा है कि ट्विटर की वेबसाइट की सामग्री पर उसका कोई नियंत्रण नहीं है और इसकी निगरानी ट्विटर इंक द्वारा की जाती है जो अमेरिका में स्थित है। ट्विटर कम्युनिकेशंस ने यह भी कहा है कि उसकी भूमिका सिर्फ रिसर्च, मार्केटिग, डेवलमेंट और ब्रांड का प्रचार करने तक ही सीमित है।

ट्विटर कम्युनिकेशंस ने अर्नब गोस्वामी प्रकरण का हवाला देते हुये उसके खिलाफ दायर तमाम प्राथमिकियों को एक ही स्थान पर समाहित करने का अनुरोध किया है। गोस्वामी के मामले में उच्चतम न्यायालय ने अनुच्छेद 32 के अंतर्गत सारी प्राथमिकियों को एक ही स्थान पर स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था।

याचिकाकर्ता ने कहा है कि गोयनका ने ट्विटर कम्युनिकेशंस को धमकी देने, परेशान करने और उकसाने की मंशा से ही ट्विटर का उपयोग करने वालों से भारतीय कंपनी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आह्वाहन किया है।

इस कंपनी ने दोहराया है कि एक ही कृत्य के लिये कई मामले दर्ज नहीं किये जा सकते हैं और देश के आठ राज्यों में दर्ज शिकायतें एक जैसी हैं और इनके आरोप भी एक समान हैं।

याचिका में यह तर्क भी दिया गया है कि सिर्फ अपवाद स्वरूप ही प्रतिनिधिक दायित्व का सिद्धांत लागू किया जा सकता है।

याचिकाकर्ता ने असम के तिनसुखिया में दर्ज प्राथमिकी निरस्त कराने के लिये गौहाटी उच्च न्यायालय में भी याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि उसने असम में दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने का अनुरोध नहीं किया गया है क्योंकि यह उच्च न्यायालय में लंबित है लेकिन बाकी अन्य प्राथमिकी रद्द करने का अनुरोध किया गया है।

ट्विटर कम्युनिकेशंस ने न्यायालय से अनुरोध किया है कि वैकल्पिक रूप में सारी प्राथमिकी तिनसुखिया में दर्ज शिकायत के साथ ही समाहित कर दी जायें।

प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में नोटिस जारी किया।

ट्विटर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सज्जन पूवैया पेश हुये और अधिवक्ता मनु कुलकर्णी, पारूल शुक्ला और सारांश जैन ने उनकी मदद की। यह याचिका एडवोकेट ऑन रिकार्ड ई सी अग्रवाल के माध्यम से दायर की गयी है।

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Twitter India seeks quashing of multiple FIRs against it after BJP IT cell Co-Convener gives clarion call: Supreme Court issues notice

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