इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने सोसाइटी में कोविड -19 प्रोटोकॉल के उल्लंघन के बारे में ट्वीट करने के बाद आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के उल्लंघन के लिए एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रिपोर्ट (एफआईआर) को रद्द कर दिया है। (तरुण जैन बनाम यूपी राज्य)।
कोर्ट ने कहा कि किसी सोसायटी के निवासी द्वारा कोविड-19 मानदंडों के उल्लंघन के बारे में सतर्क ट्वीट धारा 144 के तहत उल्लंघन नहीं हो सकता है।
प्राथमिकी को खारिज करते हुए एकल न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे जे मुनीर ने कहा कि अभियोजन पक्ष आवेदक के खिलाफ एक संज्ञेय मामले का खुलासा करने में विफल रहा और यह अदालत की प्रक्रिया का लापरवाह दुरुपयोग था।
अदालत ने पुलिस अधिकारियों को सम्मानित नागरिकों के खिलाफ ऐसी रिपोर्ट दर्ज करने के खिलाफ भी आगाह किया।
"पुलिस आयुक्त, गौतमबौद्ध नगर को सावधानी बरतनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सम्मानजनक नागरिकों के खिलाफ विचाराधीन मुकदमे की तरह तुच्छ मुकदमा नहीं चलाया जाए।"
धारा 482 के तहत आवेदन तरुण जैन ने दायर किया था, जिसके खिलाफ उनके समाज / कॉलोनी में कोविड -19 प्रोटोकॉल के उल्लंघन के बारे में ट्वीट करने के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
ट्वीट में कहा गया है कि जहां जैन निवास करते है उस सोसाइटी मे नौकरानी और कुरियर बॉय खुद को सेनेटाइज किए बिना प्रवेश कर रहे थे और मेंटेनेंस स्टाफ ने सेनेटाइजर उपलब्ध नहीं कराया था, जिससे सोसायटी में आने वाले लोग खुद को सेनेटाइज कर सकें।
जैन के खिलाफ इस आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी कि उनके द्वारा किए गए ट्वीट ने अफवाह फैलाई और धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा का उल्लंघन किया।
उक्त मामले मे भारतीय दंड सहिंता की धारा 182 (झूठी सूचना, लोक सेवक को अपनी वैध शक्ति का प्रयोग किसी अन्य व्यक्ति को चोट पहुँचाने के लिए करने के इरादे से) 188 (लोक सेवक द्वारा प्रख्यापित आदेश की अवज्ञा) और 271 (संगरोध नियम की अवज्ञा) के तहत एफ़आईआर दर्ज की गयी और यहां तक कि मजिस्ट्रेट ने 7 जुलाई, 2020 के एक आदेश के माध्यम से अपराध का संज्ञान लिया था और आवेदक को मुकदमा चलाने के लिए समन जारी किया था।
आवेदक-आरोपी के वकील ने प्रस्तुत किया कि यद्यपि आवेदक को सीआरपीसी की धारा 41 ए के तहत एक नोटिस जारी किया गया था जिसमें उसे 25 मार्च, 2020 को पुलिस स्टेशन में उपस्थित होने के लिए कहा गया था, लेकिन जब वह वहां गया, तो पुलिस ने उसका बयान दर्ज नहीं किया या उससे कोई प्रश्न पूछें; बल्कि उन्होंने उसे निजी मुचलका भरने पर रिहा कर दिया।
पुलिस द्वारा धारा 161 के तहत दर्ज बयानों की जांच के बाद कोर्ट ने कहा कि यह समझने में विफल रहा है कि बाहरी लोगों के परिसर में प्रवेश करने के संबंध में कोविड -19 प्रोटोकॉल के उल्लंघन के बारे में एक समाज के निवासी द्वारा एक सतर्क ट्वीट धारा 144 के तहत निषेधात्मक आदेशों का उल्लंघन कैसे हो सकता है।
अतः आवेदक के विरुद्ध आपराधिक कार्यवाही निरस्त की जाती है।
परिणामस्वरूप, यह आवेदन स्वीकार किया जाता है। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी-द्वितीय, गौतम बौद्ध नगर के समक्ष लंबित वाद क्रमांक 1111/2020 राज्य बनाम तरुण जैन मे कार्यवाही को निरस्त किया जाता है।
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