भाजपा में शामिल हुए बंगाल के सदस्य सौमेंदु अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट में आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की सरकार ने उन्हें राजनीतिक कारणों से स्थानीय नगर पालिका बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटा दिया।
याचिका मे आरोप लगाया गया है कि उन्हे हटाने का फैसला ममता बनर्जी सरकार मे कैबिनेट मंत्री रहे उनके बड़े भाई सुवेंदु अधिकारी द्वारा दिसंबर 2020 में भाजपा मे शामिल होने के लिए इस्तीफा देने के बाद लिया गया
यह याचिका 15 मार्च, 2021 को कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस मामले को स्थगित करने के आदेश के खिलाफ एक अपील है, जो अपने मामले के शीघ्र निपटारे के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट को निर्देश जारी करने की मांग की गयी चूंकि हाईकोर्ट ने इस तथ्य की सराहना किए बिना गलती से स्थगित कर दिया था कि राज्य कमजोर रणनीति अपनाने की कोशिश कर रहा था।
सौमेन्दु अधिकारी ने 2010-2020 तक, दो कार्यकाल के लिए कोंताई नगर पालिका के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। उनका कार्यकाल 19 मई, 2020 को समाप्त होने वाला था।
चूंकि नगरपालिका के आम चुनाव COVID-19 महामारी के कारण आयोजित नहीं किए जा सके, इसलिए अधिकारी को अधिसूचना के माध्यम से प्रशासक मंडल के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था।
यह प्रस्तुत किया गया है कि दिसंबर 2020 में याचिकाकर्ता के बड़े भाई सुवेंदु अधिकारी के ममता बनर्जी मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने और भाजपा में शामिल होने के बाद, एक अधिसूचना जारी की गई थी जिसमें कहा गया था कि पहले की अधिसूचना में संशोधन किया गया था और सिद्धार्थ मैती को प्रशासक मंडल का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।
अधिकारी ने उसी के खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
यह दावा किया गया है कि राज्य सरकार ने चुनाव कराने में देरी की है, जबकि राज्य चुनाव आयोग चुनाव संचालित करने के लिए तैयार है।
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दलील दी गई है कि 30 दिसंबर की अधिसूचना केवल इसलिए जारी की गई थी क्योंकि उनके बड़े भाई ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था और भाजपा में शामिल हो गए थे।
राज्य सरकार द्वारा कार्रवाई नगरपालिका प्रशासन की बेहतरी के लिए नहीं है, बल्कि विशेष रूप से हालिया राजनीतिक ताने-बाने और उन्मुखीकरण के कारण, अधिकारी में विश्वास नहीं दिखाने के क्षुद्र राजनीतिक कारणों के लिए है।
वकील समीर कुमार के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि पार्षदों के बोर्ड के नवनियुक्त अध्यक्ष किसी भी सार्वजनिक पद के धारक नहीं हैं और न ही उन्हें नगरपालिका के मामलों के बारे में कोई विशेष जानकारी है।
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