केरल उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए सीसीटीवी निगरानी कैमरे लगाकर किसी को भी अपने पड़ोसियों के मामलों में तांक-झांक करने की अनुमति नहीं है। [एग्नेस मिचेल बनाम चेरानुल्लूर ग्राम पंचायत और अन्य]।
इसलिए, एकल-न्यायाधीश न्यायमूर्ति वीजी अरुण ने राज्य पुलिस प्रमुख को राज्य सरकार के परामर्श के बाद इस संबंध में उचित दिशा-निर्देशों के साथ आने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने निर्देश दिया, "मेरा प्रथम दृष्टया मत है कि सुरक्षा कारणों से सीसीटीवी निगरानी कैमरे लगाने की आड़ में लोगों को अपने पड़ोसियों के मामलों में जासूसी करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। स्थिति के अनुसार सीसीटीवी कैमरे लगाने के तरीके से संबंधित आदेश या दिशानिर्देश जारी करने की आवश्यकता है। यह राज्य पुलिस प्रमुख का काम है कि वह राज्य सरकार के परामर्श से इस संबंध में उचित दिशा-निर्देश जारी करे।"
अदालत अपने पड़ोसी द्वारा सीसीटीवी निगरानी कैमरे की स्थापना से पीड़ित एक व्यक्ति द्वारा उसके परिसर और निवास पर कथित रूप से कब्जा करने की याचिका पर विचार कर रही थी।
कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य के पुलिस प्रमुख को पक्षकार बनाया और उन्हें इस संबंध में उचित दिशा-निर्देश देने का निर्देश दिया
मामले की अगले महीने फिर सुनवाई होगी।
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