सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इस बात पर दुख व्यक्त किया कि देश में शिक्षा का स्तर ऐसा है कि एक स्नातकोत्तर शिक्षक भी छुट्टी का पत्र ठीक से नहीं लिख पाता है।
न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की खंडपीठ बिहार राज्य द्वारा आयोजित शिक्षकों की योग्यता परीक्षा को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने कहा कि जब कोई राज्य कुछ मानकों को बनाए रखने के लिए नियम बनाने की कोशिश करता है, तो अभ्यर्थी ऐसे प्रयासों से बचने की कोशिश करते हैं।
न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा, "वह स्नातकोत्तर हैं और उन्हें नौकरी मिल जाती है, लेकिन फिर वह छुट्टी का पत्र भी नहीं लिख सकते। देश में शिक्षा का यह स्तर है? और जब राज्य कोई विनियमन (योग्यता परीक्षण) लाता है तो आप उसका विरोध करते हैं? शिक्षक राष्ट्र का निर्माण करते हैं और यदि आप इन परीक्षणों का सामना नहीं कर सकते, तो इस्तीफा दे दीजिए और चले जाइए। बिहार जैसे राज्य में, यदि उन्हें सुधारने का प्रयास किया जा रहा है, तो आप इसकी अनुमति नहीं दे रहे हैं?"
इस मामले में 2 अप्रैल के उस फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें पटना उच्च न्यायालय ने विशिष्ट शिक्षक नियम, 2023 के कुछ प्रावधानों को रद्द करते हुए योग्यता परीक्षा को बरकरार रखा था।
इस मामले में करीब 4 लाख नियोजित शिक्षक (पंचायत शिक्षक) शामिल थे। उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया था कि जब तक नियोजित शिक्षक योग्यता परीक्षा पास नहीं कर लेते, वे सेवा में बने रहने के पात्र नहीं होंगे।
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के इस फैसले के खिलाफ अपील पर विचार करने से इनकार कर दिया।
उच्च न्यायालय के समक्ष विशेष अनुमति याचिका अधिवक्ता अनिमेष कुमार द्वारा तैयार की गई थी और अधिवक्ता निशांत कुमार के माध्यम से दायर की गई थी।
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"PG teacher unable to draft leave letter": Supreme Court laments state of education