आरजी कर बलात्कार और हत्या: सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता का नाम, तस्वीरें सोशल मीडिया और खबरों से हटाने का आदेश दिया

अदालत ने यह आदेश तब पारित किया जब दो वकीलों ने मृतक पीड़िता के नाम और पहचान का खुलासा करने के खिलाफ अदालत में याचिका दायर की।
Supreme Court
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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सभी समाचार और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में बलात्कार और हत्या की शिकार 31 वर्षीय रेजिडेंट डॉक्टर का नाम, फोटो, वीडियो और अन्य विवरण हटाने का आदेश दिया। [किन्नोरी घोष और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य]

भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने दो वकीलों द्वारा मृतक पीड़िता के नाम और पहचान के खुलासे के खिलाफ न्यायालय में याचिका दायर करने के बाद यह आदेश पारित किया।

न्यायालय ने आदेश दिया, "यह न्यायालय निषेधाज्ञा जारी करने के लिए बाध्य है, क्योंकि सोशल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने मृतक की पहचान और शव की बरामदगी के बाद शव की तस्वीरें प्रकाशित करना शुरू कर दिया है। हम तदनुसार निर्देश देते हैं कि उपरोक्त घटना में मृतक के नाम, तस्वीरों और वीडियो क्लिप के सभी संदर्भ इस आदेश के अनुपालन में सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्मों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से तुरंत हटा दिए जाएंगे।"

CJI DY Chandrachud, Justice JB Pardiwala,, Justice Manoj Misra
CJI DY Chandrachud, Justice JB Pardiwala,, Justice Manoj Misra

याचिकाकर्ताओं ने बताया कि मृतक के शव की तस्वीर सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रही थी और यह इस न्यायालय के निपुण सक्सेना फैसले का उल्लंघन है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसने उस फैसले में निर्देश दिया था कि बलात्कार पीड़ितों की पहचान सुरक्षित रखी जानी चाहिए और मीडिया इसे उजागर नहीं कर सकता।

पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से मौखिक रूप से पूछा, "भारतीय न्याय संहिता इस पर क्या कहती है।"

याचिकाकर्ता के वकील ने जवाब दिया, "पहचान उजागर नहीं की जा सकती।"

इसके बाद न्यायालय ने समाचार आउटलेट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से पीड़िता का नाम, फोटो और वीडियो सहित विवरण हटाने के निर्देश दिए।

न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, "साफ तौर पर यह निपुण सक्सेना एवं अन्य बनाम भारत संघ एवं अन्य में इस न्यायालय के निर्देशों का उल्लंघन है। इस न्यायालय ने निर्देश दिया है कि बलात्कार पीड़ितों की पहचान सुरक्षित रखी जानी चाहिए तथा प्रेस, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया सहित मीडिया उनकी पहचान उजागर नहीं करेगा। 16 जनवरी 2019 को केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा भी एक निर्देश जारी किया गया था। भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 72(1) के प्रावधानों पर भी भरोसा किया गया है।"

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता निखिल मजीठिया और ऋषि कुमार सिंह गौतम पेश हुए।

[आदेश पढ़ें]

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RG Kar rape and murder: Supreme Court orders removal of victim's name, photos from social media, news

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