सुप्रीम कोर्ट का समीत ठक्कर के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी स्थानांतरण की याचिका पर विचार से इंकार, कहा: ‘‘हम आघात मुक्त हैं’’

महाराष्ट्र सरकार के वकील ने न्यायालय से कहा कि ठक्कर की ओर से दाखिल जमानत की अर्जी का कोई विरोध नहीं किया गया
Sameer Thakkar, Supreme Court
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उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और मंत्री आदित्य ठाकरे के बारे में सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पाणियां करने के आरोप में गिरफ्तार समीत ठक्कर की याचिका पर विचार करने से सोमवार को इंकार कर दिया।

ठक्कर ने अपने खिलाफ दायर तीन प्राथमिकियों को एक करने का अनुरोध करते हुये न्यायालय में याचिका दायर की थी। उन्होंने नागपुर के वीपी रोड थाना और सीताबुल्दी थाना में दर्ज प्राथमिकियों में अंतरिम जमानत का भी अनुरोध किया था।

ठक्कर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने इस मामले को ‘सबसे दुर्भाग्यपूर्ण मामलों में से एक बताया।

मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने जब जेठमलानी से पूछा कि वह उच्च न्यायालय जाने की बजाये सीधे यहां क्यों आये तो उन्होंने जवाब दिया,

‘‘यह उच्च न्यायालय का सवाल नहीं है। हमने 19 अक्टूबर को उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी और यह आज सूचीबद्ध हुयी है सभी जमानती आरोप हैं। अगर यह आपको आहत नहीं करता तो कुछ नहीं करेगा।’’

इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा,

‘हम आघात मुक्त हैं।’’
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे

महाराष्ट्र सरकार की ओर से अधिवक्ता राहुल चिटनिस ने कहा कि ठक्कर की ओर से आज पेश की गयी जमानत की अर्जी का कोई विरोध नहीं किया गया है और उससे हिरासत में पूछताछ हो चुकी है।

मुख्य न्यायाधीश बोबडे ने स्पष्ट किया कि शीर्ष अदालत याचिका पर विचार नहीं करेगी। जेठमलानी ने जब यह कहा कि न्यायालय को चिटनिस का बयान दर्ज करना चाहिए, सीजेआई ने कहा,

‘‘हम यह बहुत ही असामान्य पा रहे हैं कि आपको हमसे यह अनुरोध करना पड़ रहा है कि आपको सुने। हाई कोर्ट इन मामलों को स्थानांतरित कर सकता है और जमानत दे सकता है।’’

जेठमलानी ने न्यायालय को सूचित किया कि ठक्कर ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी लेकिन एक ही मामले के संबंध में दायर कई अलग अलग प्राथमिकी के मामले में गिरफ्तार किया गया। उन्होंने न्यायालय से कहा,

‘’24 अक्टूबर को उसे (ठक्कर) को राजकोट में गिरफ्तार किया गया। इसके बाद उसे नागपुर ले जाया गया और उसे रस्सी से गर्दन बंधी अमानवीय अवस्था में अदालत में पेश किया गया। उसे सड़क पर परेड करायी गयी।’’

‘‘आपको यह कैसे लगा कि हम यह सब स्वीकार करते हैं? उच्च न्यायालय जायें और उच्च न्यायालय की टिप्पणियों से हमे लाभ लेने दें।’’

शीष अदालत में दायर याचिका में कहा गया था कि यचिकाकर्ता के कुछ ट्विट्स को ‘‘जानबूझ कर कुछ राजनीति से प्रेरित और ताकतवर लोगों ने ठक्कर को खामोश करने और परेशान करने की मंशा से गलत समझ लिया।’’

अर्णब गोस्वामी मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले का उद्धृत करते हुये याचिकाकर्ता ने कहा था कि यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि एक ही मामले में कई राज्यों में शिकायत दर्ज कराके आपराधिक प्रक्रिया संताप देने वाली कवायद नहीं बन जाये।

यह ठक्कर का ही मामला था जिसमे एक ही घटना को लेकर ठक्कर के खिलाफ अलग अलग अधिकार क्षेत्रों में प्राथमिकी दर्ज करायी गयीं। ठक्कर ने ऐसी स्थिति में उनके खिलाफ दर्ज तीनों प्राथमिकी से संबंधित सारी कार्यवाही नागपुर में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था।

याचिका में सारी प्राथमिकी एकसाथ करने के अनुरोध के साथ दायर याचिका में कहा गया है कि आरोपी को विभिन्न प्राथमिकी से अलग अलग कार्यवाही का सामना करने के लिये बाध्य करने से संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 में प्रदत्त मकसद ही विफल हो जायेगा।

ठक्कर गिरफ्तारी से बचने और उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी निरस्त कराने के लिये पहले बंबई उच्च न्यायालय गये थे। इस याचिका पर एक अक्टूबर को सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति एमएस कार्णिक ने ठक्कर को वीपी रोड थाने में जाकर अपना बयान दर्ज कराने का आदेश दिया था।

उच्च न्यायालय के इस निर्देश के बाद ठक्कर पांच अक्टूबर को अपना बयान दर्ज कराने के लिये दो वकीलों के साथ मुंबई के वीपी रोड थाने गये थे। हालांकि, वह शौचालय का इस्तेमाल करने के बहाने से वहां से भाग गये थे।

उच्च न्यायालय में 9 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान ठक्कर ने कहा था कि वह थाने में मौजूद साइबर प्रकोष्ठ के अधिकारियों द्वारा गिरफ्तार किये जाने के भय से भाग गये थे।

न्यायालय ने 16 अक्टूर को ठक्कर से कहा कि वह वीपी रोड थाने जाकर दुबारा अपना बयान दर्ज करायें लेकिन वह ऐसा करने में विफल रहे थे।

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"We are immune to shocks", Supreme Court refuses to entertain Sameet Thakkar plea for transfer of FIRs

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