एनडीपीएस मामलों में अग्रिम जमानत देने पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "अभूतपूर्व"

न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।
Supreme Court, NDPS Act
Supreme Court, NDPS Act
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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (एनडीपीएस एक्ट) के तहत ड्रग्स मामले में कई आरोपियों को कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा अग्रिम जमानत दिए जाने पर आश्चर्य व्यक्त किया। [अनारुल एसके बनाम पश्चिम बंगाल राज्य]।

न्यायमूर्ति बीआर गवई, अरविंद कुमार और केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि एनडीपीएस मामलों में अग्रिम जमानत दिए जाने की बात पहले कभी नहीं सुनी गई।

न्यायमूर्ति गवई ने टिप्पणी की, "एनडीपीएस मामले में अग्रिम जमानत? कभी नहीं सुनी गई। हम नोटिस जारी करेंगे और राज्य से जमानत रद्द करने के आवेदन पर विचार करने के लिए कहेंगे।"

इसके बाद न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया और चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा।

Justice Aravind Kumar, Justice BR Gavai and Justice KV Viswanathan
Justice Aravind Kumar, Justice BR Gavai and Justice KV Viswanathan

पीठ उच्च न्यायालय के 8 जुलाई के आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें एक आरोपी (याचिकाकर्ता) को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया गया था।

याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि मामले में कई सह-आरोपियों को अग्रिम जमानत दी गई थी, और इस प्रकार समानता की मांग की।

इसके बाद शीर्ष अदालत ने आश्चर्य व्यक्त किया और राज्य से जवाब मांगा।

यह अपील अधिवक्ता अभिजीत सेनगुप्ता के माध्यम से दायर की गई थी।

भारत संघ बनाम मोहम्मद नवाज खान में अपने 2021 के फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि एनडीपीएस अधिनियम के तहत अपराधों की गंभीरता को देखते हुए जमानत देने के लिए कड़े मानदंड निर्धारित किए गए हैं।

गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की तरह, एनडीपीएस एकतरफा और बिना प्रथम दृष्टया संतुष्टि के कि आरोपी निर्दोष है और उसके आगे कोई अपराध करने की संभावना नहीं है, जमानत देने से रोकता है।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाल ही में फैसला सुनाया था कि एनडीपीएस अधिनियम की धारा 37 के तहत जमानत देने पर प्रतिबंध संवैधानिक अदालतों पर लागू नहीं होते हैं, बल्कि केवल ट्रायल कोर्ट पर लागू होते हैं।

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"Unheard of": Supreme Court on grant of anticipatory bail in NDPS cases

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